SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 374
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 316... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण विधि में आठ बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना करें, आठ बार द्वादशावर्त वन्दन करें, आठ बार खमासमणसूत्र पूर्वक वन्दन करें एवं आठ बार कायोत्सर्ग करें। दूसरे दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देशसमुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें एवं नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें। तीसरे दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के पाँचवें एवं छठे उद्देशक के उद्देशसमुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक काल ग्रहण लें एवं नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें। चौथे दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के सातवें एवं आठवें उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक काल का ग्रहण करें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें। ____ पाँचवें दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के नौवें एवं दसवें उद्देशक के उद्देशसमुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक काल का ग्रहण करें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें। छठवें दिन योगवाही प्रथम अध्ययन के ग्यारहवें उद्देशक का उद्देशसमुद्देश करें, फिर प्रथम अध्ययन का समुद्देश करें, फिर ग्यारहवें उद्देशक एवं पहले अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें। सातवें दिन योगवाही शय्या नामक द्वितीय अध्ययन का उद्देश करें, फिर द्वितीय अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समद्देश एवं अनज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें। आठवें दिन योगवाही द्वितीय अध्ययन के तीसरे उद्देशक का उद्देशसमुद्देश करें, फिर दूसरे अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे उद्देशक एवं दूसरे अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक काल का ग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें। नौवें दिन योगवाही ईर्या नामक तृतीय अध्ययन का उद्देश करें, फिर इस अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy