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314... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
तीसरे चौथे उद्देशक एवं आठवें अध्ययन की अनुज्ञा करें। इन क्रियाओं के निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें।
चौबीसवें दिन योगवाही आचारांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध का समुद्देश एवं अनुज्ञा विधि करें, नंदीक्रिया करें और आयंबिल तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ दो-दो बार करें।
दिन
1
अध्ययन अं.उ., श्रु.उ.,
नंदी, अ. 1
1/2
9
आ.
उद्देशक
कायोत्सर्ग
तप
दिन
अध्ययन
उद्देशख
कायोत्सर्ग
तप
श्री आचारांग प्रथम श्रुतस्कन्ध- आगाढ़योग, दिन- 24, कालग्रहण - 24, नंदी - 2, अंग- 1, अध्ययन - 8
दिन
अध्ययन
9
3
3/4
8
नी.
17
6
554
2
1
नी.
6
3
1
3/4
6
नी. नी. नी.
18
5/6
7
6
10 11 12
4
4
5
1/2
3/4
1/2
7
8
7
नी. नी.
नी.
4
1
97
754
19
5 2
62
1/2 3/4 5/6
7
6
8
नी.
नी.
नी.
13
5
3/4
6
नी.
20 21
7
7
1/2 3/4 5/6 7/8
7 6 6
8
नी. नी. नी.
नी.
151004
+
15
6
1/2
7
नी. नी.
5/6
8
72
22 23
8
S
2
1/2
8
| उद्देशक
कायोत्सर्ग
तप
• आचारदिनकर के अनुसार इसका तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें।
द्वितीय श्रुतस्कन्ध
आचारांगसूत्र के द्वितीय श्रुतस्कन्ध में प्रवेश करने के दिन सर्वप्रथम नन्दी क्रिया की जाती है। उसके बाद श्रुतस्कन्ध का उद्देश कर, प्रथम अध्ययन
3/4
7
8
नी. नी.
8
3
3
1/2
7
नी.
16
6
3/4
6
नी.
24
श्रु. समु.,
श्रु.अ., नंदी
0 2
आ.