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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि... 313
क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
सोलहवें दिन योगवाही षष्ठम अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह छह बार करें।
सतरहवें दिन योगवाही षष्ठम अध्ययन के पाँचवें उद्देशक का उद्देशसमुद्देश करें, फिर षष्ठम अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पाँचवें उद्देशक एवं छठे अध्ययन की अनुज्ञा करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ पाँच-पाँच बार करें।
अठारहवें दिन योगवाही विमोक्ष नामक सप्तम अध्ययन का उद्देश करें, फिर सप्तम अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, इन वाचनाओं के निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
उन्नीसवें दिन योगवाही सप्तम अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, इनके निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह छह बार करें।
बीसवें दिन योगवाही सप्तम अध्ययन के पाँचवें एवं छठे उद्देशक के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह छह बार करें।
इक्कीसवें दिन योगवाही सप्तम अध्ययन के सातवें एवं आठवें उद्देशक के उद्देश - समुद्देश की क्रिया करें, फिर सातवें अध्ययन का समुद्देश करें, फिर सातवें-आठवें उद्देशक एवं सातवें अध्ययन की अनुज्ञा करें, इन वाचनाओं के निमित्त एक कालग्रहण ले और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें।
बाईसवें दिन योगवाही उपधानश्रुत नामक अष्टम अध्ययन का उद्देश करें, फिर अष्टम अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश- समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, इन वाचनाओं के निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
तेईसवें दिन योगवाही अष्टम अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देश - समुद्देश की क्रिया करें, फिर आठवें अध्ययन का समुद्देश करें, फिर