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312... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण फिर तृतीय अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
नौवें दिन योगवाही तृतीय अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देशसमुद्देश की क्रिया करें, फिर तृतीय अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे-चौथे उद्देशक एवं तृतीय अध्ययन की अनुज्ञा करें; एक कालग्रहण ले और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें।
दसवें दिन योगवाही सम्यक्त्व नामक चतुर्थ अध्ययन का उद्देश करें, फिर चतुर्थ अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें। ___ग्यारहवें दिन योगवाही चतुर्थ अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देश के उद्देशसमुद्देश की क्रिया करें, फिर चतुर्थ अध्ययन का समुद्देश करें, फिर तीसरे-चौथे उद्देशक एवं चतुर्थ अध्ययन की अनुज्ञा करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। इस प्रकार चौथा अध्ययन दो दिन में पूर्ण होता है।
बारहवें दिन योगवाही लोकसार नामक पंचम अध्ययन का उद्देश करें, फिर पंचम अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
तेरहवें दिन योगवाही पंचम अध्ययन के तीसरे एवं चौथे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें, एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ छह-छह बार करें।
चौदहवें दिन योगवाही पंचम अध्ययन के पाँचवें एवं छठे उद्देशक के उद्देश एवं समुद्देश की क्रिया करें, फिर पंचम अध्ययन का समुद्देश करें, फिर पाँचवें-छठे उद्देशक एवं पाँचों अध्ययन की अनुज्ञा करें। इस क्रिया के निमित्त एक कालग्रहण लें और नीवि तप करें। इसकी विधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें।
पन्द्रहवें दिन योगवाही द्यूत नामक षष्ठम अध्ययन का उद्देश करें, फिर षष्ठम अध्ययन के पहले एवं दूसरे उद्देशक के उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की