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________________ 310... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण अङ्ग सूत्रों की योग विधि आचारांगसूत्र योग विधि प्रथम श्रुतस्कन्य • आचारांगसूत्र के दो श्रुतस्कन्ध और पच्चीस अध्ययन हैं। प्रथम श्रुतस्कन्ध में नौ और द्वितीय श्रुतस्कन्ध में सोलह अध्ययन हैं। • प्रथम श्रुतस्कन्ध के पहले अध्ययन में सात, दूसरे अध्ययन में छह, तीसरे अध्ययन में चार, चौथे अध्ययन में चार, पाँचवें अध्ययन में छह, छट्ठे अध्ययन में पाँच, सातवें अध्ययन में आठ और आठवें अध्ययन में चार उद्देशक हैं। • जिस अध्ययन में सम संख्या (जैसे- 4, 6, आदि) के उद्देशक होते हैं वहाँ एक दिन और एक काल में दो-दो उद्देशक पूर्ण करते हैं तथा जिस अध्ययन में विषम संख्या ( 3, 5, 9 आदि) के उद्देशक होते हैं वहाँ अंतिम उद्देशक एक दिन और एक काल पूर्वक अध्ययन के साथ पूर्ण करते हैं। आचारांग के नौवें अध्ययन का नाम महापरिज्ञा है, वह व्युच्छिन्न हो गया है। कहते हैं कि आर्यवज्रस्वामी ने इस अध्ययन से आकाशगामिनी विद्या उद्धृत की थी, वह विद्या भी अतिशय प्रधान होने के कारण लुप्त हो गई है। वर्तमान में इस अध्ययन की नियुक्ति मात्र उपस्थित है। • • शीलांकाचार्य के मतानुसार 'महापरिज्ञा' आठवाँ अध्ययन है, विमोक्ष सातवां अध्ययन है और उपधान श्रुत नववाँ अध्ययन है। इस प्रकार वर्तमान में आचारांग सूत्र के आठ अध्ययन ही उपलब्ध हैं। • आचारांग के प्रथम श्रुतस्कन्ध के योग में चौबीस दिन लगते हैं । आचारांगसूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध के नौ अध्ययनों के नाम इस प्रकार हैं- 1. शस्त्र परिज्ञा 2. लोकविजय 3. शीतोष्णीय 4. सम्यक्त्व 5. आयंती अथवा लोकसार 6. द्यूत 7. विमोक्ष 8. उपधान श्रुत 9. महापरिज्ञा । आचारांगसूत्र के प्रथम श्रुतस्कन्ध की योगविधि यह है पहले दिन योगवाही आचारांगसूत्र का उद्देश कर फिर प्रथम श्रुतस्कंध का उद्देश करें। फिर परिज्ञा नामक प्रथम अध्ययन का उद्देश करें, फिर प्रथम अध्ययन के पहले उद्देशक का उद्देश और प्रथम अध्ययन के दूसरे उद्देशक का उद्देश करें। इसके बाद क्रमशः प्रथम अध्ययन के पहले और दूसरे उद्देशक का
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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