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योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...309 सत्ताईसवें दिन योगवाही श्रुतस्कन्ध की समुद्देश विधि करें, एक कालग्रहण लें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
अट्ठाईसवें दिन योगवाही श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञाविधि करें, एक एक कालग्रहण ले, नंदी क्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें।
इस प्रकार अट्ठाइस दिनों में उत्तराध्ययन सूत्र का योग पूर्ण होता है। श्री उत्तराध्ययनसूत्र- आगाढ़ योग, दिन 28, काल-28, नंदी-2
वृद्धि दिन-4 दिन - 1 12 | 3 | 4 5 6 अध्ययन | श्रु.उ., नन्दी, 2 | 3 | 4-असंखय |4-असंखय | 5 अ. 1 |
उ.समु. | अ. कायोत्सर्ग| 4
2 या 3 नी./आ. नी./आ.
o no
तप
2 ® ७०
दिन
अध्ययन कायोत्सर्ग| 3
8 | 9 | 10 | 33 नी. | नी. |
| तप
नी. |
नी. | नी.
नी. |
नी. |
दिन
| 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 अध्ययन | 15/16 | 17/18 | 19/20 | 21/22 | 23/24 / 25/26/27/28 कायोत्सर्ग| 6 6 6 6 6 | 6 | 6 तप नी. नी. | नी. | नी. | नी. | नी. नी.
24
25
26
दिन | 23 अध्ययन | 29/30 | 31/32 कायोत्सर्ग| 6 | 6 तप । नी. | नी.
27 | 28 | 33/34 | 35/36 | श्रु.समु. श्रु.अ. नंदी
| 1 | नी. | नी. | आ. | आ.
• आचारदिनकर के अनुसार तप क्रम दशवैकालिकसूत्र के यन्त्रवत समझें।