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________________ 304... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण ___चौदहवें दिन योगवाही दशवैकालिक के श्रुतस्कन्ध का समुद्देश करें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। पन्द्रहवें दिन योगवाही दशवैकालिक के श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञा करें, नंदी क्रिया करें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। यंत्र- श्री दशवैकालिकसूत्र- आगाढ़ योग, दिन-15, नंदी-2 दिन 1 | 2 | 3 | 4 | 5 श्रु.उ.,नन्दी, 2 | 3 अ.1 उद्देशक | 0 कायोत्सर्ग तप (विधिप्रपा के अनुसार) (आचारदिनकर के अनुसार) ० ० अध्ययन + + 100 ० -- Fw w ० FE ० ० ० 20 ० ० आ. ० 0 FE | 11 12 13 14 दिन अध्ययन उद्देशक कायोत्सर्ग तप (विधिप्रपा के अनुसार) आचारदिनकर के अनुसार) मण्डली प्रवेश तप विधि मण्डली में प्रवेश करने हेतु किसी भी अध्ययन का उद्देश, समुद्देश एवं अनुज्ञा विधि नहीं होती है, क्योंकि वाचना का व्यवच्छेद होने से स्कन्दिलाचार्य के समय से ही व्यवच्छिन्न चली आ रही है। वर्तमान में यह विधि परम्परागत सामाचारी के अनुसार प्रचलित है। सामान्यतया शैक्ष मुनि सात मण्डलियों में प्रवेश करने के लिए सात आयंबिल करते हैं। आचारदिनकर की सामाचारी के अनुसार मण्डली तप के तीसरे आयंबिल में उपस्थापना हेतु नंदीक्रिया होती है,
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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