________________
योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...303 पाँचवें दिन योगवाही पंचम पिण्डैषणा नामक अध्ययन का उद्देश करें, फिर इसके प्रथम एवं द्वितीय दोनों उद्देशकों के उद्देश-समुद्देश-अनुज्ञा करें, फिर अध्ययन का समुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में पूर्ववत सभी क्रियाएँ नौ-नौ बार करें।
छठवें दिन योगवाही षष्ठम धर्मार्थकाम नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
सातवें दिन योगवाही सप्तम वाक्यशुद्धि नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
आठवें दिन योगवाही अष्टम आचारप्रणिधि नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।
नौवें दिन योगवाही नवम विनय समाधि नामक अध्ययन का उद्देश फिर प्रथम उद्देशक का उद्देश-समुद्देश-अनुज्ञा, फिर द्वितीय उद्देशक का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ सात-सात बार करें।
दसवें दिन योगवाही नौवें अध्ययन के तृतीय उद्देशक का उद्देश-समद्देशअनुज्ञा, फिर चतुर्थ उद्देशक का उद्देश-समुद्देश-अनुज्ञा, फिर नौवें अध्ययन का समुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ आठ-आठ बार करें। ___ ग्यारहवें दिन योगवाही दशम सभिक्षु नामक अध्ययन की उद्देश-समद्देशअनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। ___बारहवें दिन योगवाही रतिकल्प नामक प्रथम चूलिका का उद्देश-समुद्देश
अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। ___ तेरहवें दिन योगवाही विविक्तचर्या नामक द्वितीय चूलिका का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें।