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________________ 302... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण दशवैकालिकसूत्र योग विधि दशवैकालिकसूत्र में एक श्रुतस्कन्ध और बारह अध्ययन हैं। पाँचवें अध्ययन में दो और नौवें अध्ययन में चार उद्देशक हैं। • नौवें अध्ययन के चार उद्देशकों में दो दिन, शेष ग्यारह अध्ययनों के ग्यारह दिन, श्रुतस्कन्ध के दो दिन ऐसे 2 + 11 + 2 कुल 15 दिनों में इस सूत्र के योग पूर्ण होते हैं। • इस सूत्र के पाँचवें अध्ययन का योग करते समय पहले पाँचवें अध्ययन का उद्देशक, फिर प्रथम और द्वितीय उद्देशक के उद्देशादि, फिर पाँचवें अध्ययन का समुद्देश, फिर पाँचवें अध्ययन की अनुज्ञा करते हैं। जिन सूत्रों के अध्ययन में उद्देशक हों, उनमें अध्ययन एवं उनके उद्देशकों का वहन - क्रम पूर्ववत जानना चाहिए। दशवैकालिक सूत्र के बारह अध्ययनों के नाम ये हैं- 1. द्रुमपुष्पिका 2. श्रामण्यपूर्विका 3. क्षुल्लिकाचारकथा 4. षड्जीवनिकाय अथवा धर्मप्रज्ञप्ति 5. पिण्डैषणा- इसमें पिण्ड नियुक्ति का उपचार से समावेश होता है, ऐसी मान्यता है। 6. धर्मार्थकामाध्ययन अथवा महल्लिकाचार कथा 7. वाक्य शुद्धि 8. आचार प्रणिधि 9. विनयसमाधि 10. सभिक्षु 11. रतिवाक्य और 12. चूलिका । दशवैकालिकसूत्र की योगविधि यह है पहले दिन दशवैकालिकसूत्र के श्रुतस्कन्ध का उद्देश एवं प्रथम द्रुमपुष्पिका नामक अध्ययन का उद्देश- समुद्देश- अनुज्ञा करें और आयंबिल तप एवं नन्दी क्रिया करें। इसकी क्रिया में योगवाही चार बार मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना करें, चार बार द्वादशावर्त्त वन्दन करें, चार बार खमासमणसूत्र पूर्वक वन्दन करें और चार बार कायोत्सर्ग करें। दूसरे दिन योगवाही द्वितीय श्रामण्यपूर्वक नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश- अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रिया में योगवाही मुखवस्त्रिकाप्रतिलेखन आदि सभी क्रियाएँ पूर्ववत तीन-तीन बार करें। तीसरे दिन योगवाही तृतीय क्षुल्लकाचारकथा नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। चौथे दिन योगवाही चतुर्थ षड्जीवनिकाय नामक अध्ययन का उद्देशसमुद्देश- अनुज्ञा करें और नीवि करें। इसकी क्रिया में पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीनतीन बार करें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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