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________________ योग तप (आगम अध्ययन) की शास्त्रीय विधि ...301 पाँचवें दिन योगवाही पंचम कायोत्सर्ग अध्ययन का उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। छठे दिन योगवाही षष्ठम कायोत्सर्ग अध्ययन का उद्देश-समद्देश-अनुज्ञा करें और नीवि तप करें। इसके क्रियानुष्ठान में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ तीन-तीन बार करें। सातवें दिन योगवाही आवश्यकसूत्र के श्रुतस्कन्ध का समुद्देश करें और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। आठवें दिन योगवाही आवश्यक श्रुतस्कन्ध की अनुज्ञा, नन्दीक्रिया और आयंबिल तप करें। इसकी क्रियाविधि में योगवाही पूर्ववत सभी क्रियाएँ एक-एक बार करें। यंत्र- श्री आवश्यकसूत्र-आगाढ़योग, दिन-8, नन्दी-2 दिन | 1 | 2 | 3 4 | 5 6 7 अध्ययन श्रु.उ.,नन्दी. 2 | 3 | 5 | 6 |श्रु.समु. श्रु.अनु. ० ० नन्दी कायोत्सर्ग वन्दन खमासमण मुखवस्त्रिका तप (विधिप्रपा के अनुसार) (आचारदिनकर के अनुसार) bo 0 0 0 ho 0 0 0 ० ० ० ० ܚ ܚ ܝ ܝ ܛ नी. नी. | नी. विशेष- श्रुतस्कन्ध के उद्देश का एक कायोत्सर्ग, फिर प्रथम अध्ययन के उद्देश, समुद्देश, एवं अनुज्ञा के तीन कायोत्सर्ग- इस प्रकार चार कायोत्सर्ग होते हैं। ___ यह ज्ञातव्य है कि योग काल में जिस दिन जितने कायोत्सर्ग होते हैं वन्दन, खमासमण, मुखवस्त्रिका प्रतिलेखन आदि क्रियाएँ भी उतनी ही होती हैं।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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