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________________ 280... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण • पाटली स्थापना करनी हो तो सभी योगवाहियों के लिए पृथक-पृथक पाटली होना आवश्यक है किन्तु स्वाध्याय प्रस्थापना करते समय सामुदायिक एक पाटली पर्याप्त है अर्थात एक पाटली के समक्ष सभी योगवाही स्वाध्याय प्रस्थापना कर सकते हैं। उस समय एक योगवाही पाटली प्रतिलेखन की क्रिया करें, तत्पश्चात सभी योगवाही एक साथ सभी क्रियाएँ करें। इस क्रिया में एक योगवाही के द्वारा ही सूत्र आदि बोले जाएं और आदेश आदि मांगे जाएं, शेष मात्र सुनें। • स्वाध्याय प्रस्थापना करते समय या पाठ बोलते हुए अनुपयोग के कारण स्वाध्याय प्रस्थापक का स्वाध्याय भंग हो जाये तो वह दूसरी पाटली की पृथक स्थापना करके स्वाध्याय प्रस्थापना करे, शेष योगवाही पूर्वस्थापित पाटली के समक्ष भी स्वाध्याय प्रस्थापना कर सकते हैं। स्वाध्याय भंग के भय से प्राय: कृतयोगी अन्य मुनियों से ही सूत्र आदि बुलवाते हैं, जिससे योगवाही की विधि निर्विघ्न पूर्ण हो। स्वाध्याय नाश के कारण जीतव्यवहार के अनुसार निम्न स्थितियों में स्वाध्याय भंग होता है • स्वाध्याय प्रस्थापना करते समय, स्वाध्याय का समापन करते समय, खमासमण देते समय, संदिसावण- स्वाध्याय सम्बन्धी अनुमति लेते समय, प्रवेदन- स्वाध्याय काल शुद्ध है ऐसा निवेदन करते समय, कायोत्सर्ग करते समय, कायोत्सर्ग पूर्ण करते समय यदि किसी को छींक आ जाये या रूदन का स्वर सुनाई दे तो स्वाध्याय का भंग होता है। • किसी के द्वारा पाटली (स्वाध्यायिक क्रियाओं के समय रखा जाने वाला छोटा पट्टा) का स्पर्श हो जाए, सूत्रोच्चार में स्खलना हो जाए, रजोहरण या मुखवस्त्रिका गिर जाए, रजोहरण को विपरीत रीति से पकड़ लिया जाए, तो स्वाध्याय स्थापना की सभी क्रियाएँ निष्फल हो जाती हैं फिर उस काल में स्वाध्याय नहीं किया जा सकता है। • स्वाध्याय की प्रस्थापना और पाटली की क्रिया करते समय यदि स्वाध्याय अधिकतम नौ बार खण्डित हो जाये तो गृहीत काल भी नष्ट हो जाता है। स्पष्ट है कि कालग्रहण सम्बन्धी क्रियाएँ अनुपयोग पूर्वक करने पर स्वाध्याय पाठ या तद्विषयक क्रियाएँ निरर्थक हो जाती हैं। प्राभातिक स्वाध्याय की
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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