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270... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
बार दोनों हाथों से फिराएं - यह डोरी संघट्टन की विधि है । फिर नारियल एवं तुम्बी के पात्र में डोरी रखें।
संघट्टा सम्बन्धी आवश्यक निर्देश
यहाँ पात्र आदि के संघट्ट असंघट्ट सम्बन्धी कुछ महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ उल्लेखनीय हैं
• आचार्य वर्धमानसूरि के मतानुसार यदि नारियल एवं तुंबी के पात्र संघट्टित डोरे से संलग्न (स्पर्शित) हो तो हाथ और पैरों से अस्पर्शित होने पर भी उनका संघट्टा नहीं जाता है।
इसी प्रकार संघट्टा पूर्वक ग्रहण किया गया ढक्कन भी शरीर से अस्पर्शित किन्तु नारियल एवं तुम्बी पात्र के ऊपर स्थापित कर दिया जाए तो उसका संघट्टा नहीं जाता है। यदि डोरी हाथ-पैरों से स्पर्शित हो तो उस डोरी से संलग्न पात्र आदि असंघट्टित हो जाते हैं। यदि संघट्टा पूर्वक ग्रहण की गई डोरी शरीर से स्पर्शित हो और उस डोरी से संलग्न पात्रादि हाथ-पैरों से अस्पर्शित हों तो वे संघट्टित ही रहते हैं।
• जो पात्र संघट्टा पूर्वक ग्रहण किए गए हैं और डोरी से गृहीत हैं, वे शरीर को स्पर्शित नहीं कर रहे हों तो उनके ऊपर दूसरा पात्र रख सकते हैं, किन्तु तीसरा पात्र नहीं रखना चाहिए, क्योंकि संघट्ट पात्र के ऊपर तीसरा पात्र रखने पर उसका संघट्टा चला जाता है।
• जिन पात्रों को संघट्टा पूर्वक ग्रहण किया गया है, वे हाथ और पैर से स्पर्शित हों, परन्तु डोरी हाथ या पैर से छूट गई हो तब भी डोरी संघट्ट ही रहती है, उसका संघट्टा जाता नहीं है । काष्ठ पात्र को पकड़ते समय अंगूठा भीतर की तरफ और अंगुलियाँ बाहर की तरफ रहें तो वह काष्ठपात्र संघट्टित ही रहता है किन्तु अन्य तरह से पकड़ने पर उसका संघट्टा चला जाता है।
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अंगुलियाँ भीतर डालते हुए एवं अंगूठे को बाहर करके नारियल एवं तुम्बी के पात्र पकड़ें तो वह संघट्टित ही रहता है, किन्तु अन्य तरह से पकड़ने पर इनका संघट्टा चला जाता है।
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पूर्व निर्दिष्ट विधि के अनुसार झोली के भीतर रखे गए पात्र भी संघट्टित की तरह ही होते हैं। उसमें एक के ऊपर एक ऐसे तीन - चार पात्र रखने पर भी तीसरे चौथे क्रम पर रखे गए संघट्टित पात्र का संघट्टा बना रहता है। उन संघट्टित