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________________ योगोद्वहन सम्बन्धी विविध विधियाँ ...267 मुखवस्त्रिका धारणकर एवं उसे डंडे के सम्मुख कर एक नमस्कार मन्त्र गिनें और दंड की स्थापना करें। फिर संघट्टग्राही मुनि खड़े-खड़े ही निम्न विधि करें एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. संघट्टो संदिसाहुं? इच्छं। पुनः एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. संघट्टो लेउं? इच्छं। फिर एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. संघट्टो लेवावणियं काउस्सग्गं करूं? इच्छं। फिर संघट्टो लेवावणियं करेमि काउस्सग्गं पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। उसे पूर्णकर प्रकट में नमस्कार मन्त्र बोलें। फिर एक खमासमण देकर अविधि आशातना का मिच्छामि दुक्कडं दें। दाहिने हाथ को स्वयं की ओर करके एक नमस्कार मन्त्र बोलें और डंडे का उत्थापन करें। यदि आउत्तवाणय ग्रहण करना हो तो 'अविधि आशातना' किये बिना योगवाही मुनि एक खमासमणसूत्र पूर्वक वंदन कर कहें- इच्छा. संदि. आउत्तवाणय संदिसाहुं? इच्छं। फिर एक खमासमण द्वारा कहें- इच्छा. संदि. आउत्तवाणय लेऊ? इच्छं। फिर एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. आउत्तवाणय लेवावणियं काउस्सग्ग करूं? इच्छं। आउत्तवाणय लेवावणियं करेमि काउस्सग्गं., पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। उसे पूर्णकर प्रकट में नमस्कार मन्त्र बोलें। अविधि आशातना का मिच्छामि दुक्कडं दें। डंडे का उत्थापन करें। संघट्ट ग्रहण की विशेष विधि कालिक सूत्रों के योग में चर एवं स्थिर दो तरह के संघट्टा ग्रहण किए जाते हैं। आचार्य वर्धमानसूरि ने चरसंघट्टा की विधि इस प्रकार प्रतिपादित की है87. चरसंघट्टा- कालिक योगवाही साधु व्यायाम हेतु एवं भिक्षा हेतु दूसरे कृतयोगी मुनि को साथ लेकर जाएं, अकृत योगी के साथ कहीं भी न जाएं। वह मार्ग में चलते हुए गाय आदि का स्पर्श न करें। पंचेन्द्रिय जीवों एवं दो मुनियों के बीच में से निकलते समय उनका संस्पर्श न करें। इसी प्रकार लता, वृक्ष आदि जीवनिकाय का स्पर्श भी न करें। योगवाही साधु वसति में से संघट्टा लेकर निकलें। भिक्षाचर्या हेतु गमन करने से पूर्व ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। उसके बाद योगवाही मुनि एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! संघट्ट संदिसावेमि?- हे
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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