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266... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
सर्वप्रथम सूर्योदय से छह घड़ी (लगभग ढाई घंटा) का काल पूर्ण होने पर उग्घाड़ा पौरुषी के निमित्त मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर पात्र आदि प्रतिलेखन करने योग्य भूमि विशेष को दंडासन द्वारा निर्दोष (स्वच्छ) करें। फिर उस स्थान पर एक तार युक्त ऊनी कंबल खण्ड बिछायें। फिर महानिशीथसूत्र के योगकृत मुनि द्वारा प्रतिलेखित स्थापनाचार्य को खुला कर स्थापित करें। फिर उसके समक्ष पात्र झोली आदि को कंबल खण्ड पर रखकर सभी पात्रोपकरणों की 25-25 बोलपूर्वक प्रतिलेखना करें।
यदि चातुर्मास काल हो अथवा न भी हो तो प्रत्याख्यान पूर्ण करते समय दशवैकालिक सूत्र की 17 गाथा का स्वाध्याय कर लिया जाए उसके पश्चात एक तार वाला आसन बिछायें। फिर संघट्टा 85 में लेने योग्य वस्तुएँ जैसे- पात्र, झोली, तिरपणी, आसन आदि एक-दूसरे से स्पर्श न हो, इस तरह ऊनी खण्ड पर पृथक-पृथक रखें। दंड को बायीं तरफ स्थिर करें। उसके बाद ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। फिर संघट्टाग्राही मुनि एक खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! भातपाणी संघट्टे आउत्तवाणये वस्त्र, कंबली, झोली, पात्र, तिरपणी आदि (जिन वस्तुओं को ग्रहण करना हो उन सभी के नाम लेते हुए) निमित्त मुहपत्ति पडिले हुं? इच्छं, कहकर यथाजातमुद्रा में बैठकर 50 बोलपूर्वक मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर रजोहरण एवं मुखवस्त्रिका को दायें पाँव पर अथवा शरीर से स्पर्शित करते हुए रखें।
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तदनन्तर संघट्टा योग्य प्रत्येक उपकरण की 25-25 बोल द्वारा तीन-तीन बार प्रतिलेखना करें। ऐसे प्रत्येक की 25 x 3 75 बोल पूर्वक प्रतिलेखना करें, किन्तु ऊनी गुच्छा, डोरा एवं दंडी की 10-10 बोल द्वारा तीन बार कुल 30-30 बोल पूर्वक प्रतिलेखना करें। प्रतिलेखना करने के पश्चात इन वस्तुओं को शरीर या रजोहरण से स्पर्शित करते हुए रखें। यदि शरीर स्पर्श से दूर हो जाय तो पुनः से संघट्टा विधि करनी पड़ती है। इसी क्रम में तिरपणी में डोरी डालें और झोली की एक तरफ गाँठ लगाकर उसमें ढक्कन या पात्र रखकर दूसरी तरफ गाँठ लगायें। यह क्रिया करते हुए झोली आदि शरीर से संलग्न रहे। फिर ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। उसके बाद डंडे की 10 × 3 30 बोल पूर्वक प्रतिलेखना कर खड़े हो जायें। फिर डंडे को बायें पाँव के अंगुष्ठ पर बायें हाथ के अंगूठे का सहारा देकर स्थिर करें। यहाँ डंडे को इस तरह स्थिर करें कि उससे चोलपट्ट आदि किसी वस्तु का स्पर्श न हो। उसके पश्चात दाहिने हाथ में
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