SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 314
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 256... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण खमा. - इच्छा. संदि भगवन् । सज्झायपाठवणत्थु काउस्सग्गु करिसहं - हे भगवन्! आपकी अनुमतिपूर्वक स्वाध्याय पाठ का प्रारम्भ करने के लिए कायोत्सर्ग करते हैं। कालमंडल ग्रहण योगवाही- खमा.- इच्छा. संदि. भगवन्! कालमांडला संदिसाविसहं हे भगवन्! आपकी अनुमति पूर्वक कालमंडल करने की आज्ञा लेते हैं। खमा. - इच्छा. संदि भगवन्! कालमंडलाकरिसहं- आपकी इच्छापूर्वक कालमांडला करते हैं। संघट्टा ग्रहण फिर पूर्ववत तीन खमासमण देकर संघट्टा सम्बन्धी तीन आदेश लेंसंघट्टउ संदिसाविसहं- संघट्टा ग्रहण करने के लिए अनुमति लेते हैं। संघट्टउ पडिगाहिसहं - आपकी अनुमतिपूर्वक संघट्टा ग्रहण करते हैं। संघट्टपडिगाहणत्थु काउस्सग्गु करिसहं- संघट्टा ग्रहण करने हेतु कायोत्सर्ग करते हैं। आउत्तवाणय ग्रहण तदनन्तर कुछ परम्पराओं में पूर्ववत तीन खमासमण देकर आउत्तवाणय के तीन आदेश लेते हैं आउत्तवाणय संदिसाविसहं - सजग रहने के लिए आज्ञा लेते हैं। आउत्तवाणय पडिगाहिसहं - आपकी आज्ञापूर्वक आउत्तवाणय ग्रहण करते हैं। आउत्तवाणय पडिगाहणत्थु काउस्सग्गु करिसहं - आउत्तवाणय निमित्त कायोत्सर्ग करते हैं। स्वाध्याय प्रतिक्रमण तत्पश्चात उद्देश आदि रूप स्वाध्याय करते समय लगे हुए दोषों से निवृत्त होने के लिए पूर्ववत दो खमासमण देकर स्वाध्याय का प्रतिक्रमण करेंसज्झाउ पडिक्कमिसहं - स्वाध्याय में लगे हुए दोषों का प्रतिक्रमण करते हैं। सज्झाय पडिक्कमणत्थु काउस्सग्गु करिसहं- स्वाध्याय का प्रतिक्रमण करने के लिए कायोत्सर्ग करते हैं।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy