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________________ 248... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण दाएँ हाथ में रजोहरण लेकर बायाँ घुटना प्रतिलेखित करें। फिर प्रमार्जित भूमि पर घुटना टिकाएँ। फिर रजोहरण से बाएँ हाथ की प्रतिलेखना करें। फिर स्वयं के रजोहरण की दसिओं द्वारा बाएँ हाथ से दण्डी लेकर उसकी 10 बोल से प्रतिलेखना करें। उसके बाद रजोहरण से बायीं तरफ का कटिभाग प्रमार्जित कर वहाँ दण्डी को स्थिर करें। . फिर रजोहरण से दायीं तरफ का कटिभाग, साथल और मुखवस्त्रिका का तीन बार प्रतिलेखन करें। फिर दायीं साथल के ऊपर रजोहरण रखकर एवं बाएँ हाथ में मुखवस्त्रिका लेकर उसका 44 बोलपूर्वक प्रतिलेखन करें। फिर मुखवस्त्रिका से तीन बार बाएं हाथ का प्रतिलेखन करें। फिर भूमि का प्रमार्जन कर बायाँ हाथ भूमि पर स्थापित करें और बायाँ घुटना भूमि पर से उठाये। • तत्पश्चात मुखवस्त्रिका से दायीं तरफ का कटिभाग तीन बार प्रतिलेखित कर वहाँ मुखवस्त्रिका को संरक्षित करें। दाएँ हाथ में रजोहरण लेकर दोनों पाँवों के पीछे का भूमिस्थान प्रमार्जित कर वहाँ खड़ा हो जाए। फिर दोनों पैरों का छह बोल पूर्वक प्रतिलेखन करें। फिर बाएँ हाथ के आस-पास तीन बार प्रमार्जना करें। फिर दायीं साथल को तीन बार प्रतिलेखित कर उस पर रजोहरण रखें। फिर दाएँ हाथ को रजोहरण की दसिओं पर तीन बार घर्षण सहित सीधाउल्टा करें, फिर दोनों हाथों का संपुट बनाकर पूर्ववत दूसरी बार तीन कालमांडला करें। • तदनन्तर दाएँ हाथ से रजोहरण द्वारा घुटनों का प्रतिलेखन कर उन्हें प्रमार्जित भूमि पर टिकाएँ। फिर बाएँ हाथ की तीन बार प्रतिलेखना कर बायीं ओर का कटिभाग और डंडी का तीन बार प्रतिलेखन कर बाएँ हाथ से डंडी निकालें। उसकी 10 बोल से प्रतिलेखना कर बायीं तरफ स्थिर कर दें। उसके पश्चात रजोहरण से बायां हाथ, दायीं तरफ का कटिभाग और मुखवस्त्रिका का तीन बार प्रतिलेखन करें। रजोहरण दायीं साथल के ऊपर रखें। बाएँ हाथ में मुखवस्त्रिका लेकर 44 बोलपूर्वक उसकी प्रतिलेखना करें। फिर मुखवस्त्रिका से तीन बार बाएँ हाथ का प्रतिलेखन करें। फिर भूमि प्रमार्जना करें, बायाँ हाथ भूमि पर स्थापित करें और बाएँ घुटने को भूमि से ऊपर उठाएँ। इसके बाद मुखवस्त्रिका से दायीं तरफ के कटिभाग का तीन बार प्रतिलेखन कर मुखवस्त्रिका को स्थिर करें। फिर दाएँ हाथ में रजोहरण लेकर पैरों के पीछे भाग
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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