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________________ योगोद्वहन सम्बन्धी विविध विधियाँ ...227 मन्त्र का कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रकट में नमस्कार मन्त्र बोलें। फिर एक खमासमणसूत्र से वन्दन कर किसी तरह की अविधि या आशातना हुई हो तो उसका मिथ्या दुष्कृत दें। ___ यदि प्रात:काल आउत्तवाणय ग्रहण किया हो तो निम्न विधि करें शिष्य- खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! आउत्तवाणय मेलावणियं मुहपत्ति पडिलेहुं? गुरु- पडिलेहेह। शिष्य- इच्छं कहकर किसी वस्तु का स्पर्श नहीं करते हुए मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर शिष्यखमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! आउत्तवाणय मेलूं? गुरु- मेलो। शिष्य- इच्छं। फिर शिष्य खमा. देकर कहे- इच्छा. संदि. भगवन्! आउत्तवाणय मेलावणियं काउस्सग्ग करुं? गुरु- करेह। शिष्य- इच्छं, आउत्तवाणय मेलावणियं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ. एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रगट में नमस्कार मन्त्र बोलें। फिर एक खमासमण पूर्वक अविधि आशातना का मिच्छामि दुक्कडं दें। तदनन्तर शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! दांडी कालमांडला पडिलेहुं?25 गुरु- पडिलेहेह। शिष्य- इच्छं। तदनन्तर शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन! स्थंडिल पडिलेहं? गरुपडिलेहेह। शिष्य- इच्छं कहकर मल-मूत्र विसर्जन करने योग्य चौबीस स्थानों की प्रतिलेखना करें। फिर योगवाहिनी साध्वी खमासमण देकर कहे- इच्छा. संदि. भगवन्! दिशी प्रमाणु। गुरु- पमज्जेह। पुन: शिष्य- खमासमण देकर कहे- इच्छा. संदि. भगवन्! स्थंडिल शुद्धि करुं। गुरु- करेह। कालग्रहण विधि ___ आवश्यकनियुक्ति में काल दो प्रकार का बताया गया है- 1. व्याघातिक और 2. अव्याघातिक 26 - व्याघात का शाब्दिक अर्थ है- बाधा युक्त काल। अव्याघात का अर्थ हैबाधा रहित काल। व्याघातकाल- आचार्य भद्रबाह (द्वितीय) के निर्देशानुसार यह व्याघात मुनियों के वसति स्थान में आने-जाने वालों के कोलाहल आदि कारणों से होता है।27 मेरी विचारणा के अनुसार यहाँ व्याघात काल का अर्थ संध्याकालीन समय से है, क्योंकि संध्या के समय अधिक कोलाहल रहता है और गमनागमन की प्रवृत्ति
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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