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226... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
फिर द्वादशावर्त्त वन्दन पूर्वक अवग्रह से बाहर निकलकर बोलें- इच्छा. संदि. भगवन्! बइसणं संदिसाहुं? गुरु- संदिसावेह | शिष्य- इच्छं ।
7. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बइसणं ठाउं ? गुरु - ठाए । शिष्य- इच्छं ।
एक खमासमण देकर अविधि आशातना का मिच्छामि दुक्कड़ दें। फिर प्रवेदन, सज्झाय एवं उपयोग विधि करें | 23
कालिकसूत्र योग में सन्ध्याकालीन विधि
जिस समय कालिकसूत्र के योग चल रहे हों, उन दिनों प्रतिदिन सन्ध्याकाल में निम्न विधि करनी चाहिए। सर्वप्रथम वसति शोधन करें। फिर स्थापनाचार्य को खुला करके उसके सम्मुख ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। वसति शुद्धि - शिष्य-खमासमण देकर कहे- इच्छा. संदि भगवन्! वसति पवेउं ? गुरु- पवेयह। शिष्य- इच्छं । शिष्य - खमासमण देकर कहे- भगवन्! सुद्धा सहि, गुरु-तहत्ति ।
प्रत्याख्यान– शिष्य- खमासमण देकर बोलें- इच्छा. संदि. भगवन्! मुहपत्ति पडिलेहुं? गुरु- पडिलेहेह । शिष्य इच्छं शब्द पूर्वक मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन कर दो बार द्वादशावर्त्त वन्दन करें। 24 फिर खड़े होकर कहेंइच्छकारि भगवन्! पसाय करी पच्चक्खाण करावोजी । गुरु- पाणहार आदि के प्रत्याख्यान करवाएं। उसके बाद पुन: द्वादशावर्त्त वन्दन करें। फिर खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि भगवन्! बइसणं संदिसाहुं ? गुरु - संदिसावेह | शिष्य- इच्छं । पुनः शिष्य - खमासमण देकर कहें - इच्छा. संदि. भगवन्! बइसणं ठाउं? गुरु-ठाएह । शिष्य - इच्छं । फिर एक खमासमण देकर अविधि आशातना के लिए मिच्छामि दुक्कडं दें।
संघट्टा वर्जन- शिष्य - खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! संघट्टा लावणियं मुहपत्ति पडिले हुं? गुरु- पडिलेहेह। शिष्य- इच्छं। इस समय किसी वस्तु का स्पर्श न करते हुए फिर मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर शिष्य-खमासमण देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! संघट्टो मेलुं ? गुरुमेलो । शिष्य - इच्छं । फिर शिष्य - खमा देकर कहें- इच्छा. संदि. भगवन्! संघट्टा मेलावणियं काउस्सग्गं करूं? गुरु- करेह । शिष्य- इच्छं । इतना कह संघट्टा मेलावणियं करेमि काउस्सग्गं पूर्वक अन्नत्थसूत्र बोलकर एक नमस्कार
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