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224... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण ___ 1. शिष्य- खमा. इच्छा.संदि. भगवन्! कालमांडला संदिसाहुं? गुरुसंदिसावेह। शिष्य- इच्छं।
2. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! कालमांडला पडिलेडं? गुरुपडिलेहेह। शिष्य- इच्छं।
3. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन् ! सज्झाय पडिक्कमिसहं? गुरु- पडिक्कमेह। शिष्य-इच्छं।
4. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! पाभाईयकाल (जो काल हो उसका नाम लेते हुए) पडिक्कमिसहं? गुरु- पडिक्कमेह। शिष्य- इच्छं।
शिष्य- द्वादशावर्त्तवन्दन करके अवग्रह से बाहर हो जायें।
5. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बइसणं संदिसाहुं? गुरुसंदिसावेह। शिष्य- इच्छं।
6. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! बइसणं ठाउं? गुरु- ठावेह। शिष्य- इच्छं।
7. शिष्य- खमा. अविधि आशातना का मिच्छामि दुक्कडं दें।
यदि दूसरे कालग्रहण की क्रिया करनी हो तो एक खमासमण देकर मखवस्त्रिका का प्रतिलेखन करें। फिर उक्त विधि पूर्वक उद्देश-समुद्देश एवं अनुज्ञा की क्रिया करें। उसके पश्चात प्रवेदन, संघट्टा, आउत्तवाणय सम्बन्धी क्रिया करें। फिर सज्झाय और उपयोगविधि करें।22 कालिकसूत्र योग में समुद्देश विधि ___ कालिकसूत्रों के योग में जिस दिन कालिकसूत्र की समुद्देश विधि सम्पन्न करनी हो, उस दिन निम्न विधि करें
सर्वप्रथम कालग्रहण लें, फिर प्रतिक्रमण एवं प्रतिलेखन करें, फिर वसति संशोधन करें, काल प्रवेदन करें, स्वाध्याय प्रस्थापना करें, उसके पश्चात गुरु के समक्ष आकर समुद्देश क्रिया करें। ____ 1. तदनन्तर शिष्य एक खमासमणसूत्र से वन्दन कर ईर्यापथिक प्रतिक्रमण करें। शिष्य-खमा. इच्छा. संदि. भगवन् ! वसित पवेडे? गुरु- पवेयह। शिष्य
इच्छं। पुनः खमा. भगवन् सुद्धावसही? गुरु- तहत्ति। शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! मुहपत्ति पडिलेहुं? गुरु- पडिलेहेह। शिष्य- इच्छं, मुखवस्त्रिका