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222... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण
6. शिष्य- खमा. तुम्हाणं पवेइयं साहूणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करावेह। गुरु- करावेमो। ___7. शिष्य- खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अहं श्री... उद्देशावणियं करेमि काउस्सग्गं पूर्वक अन्नत्थसूत्र कहकर एक लोगस्स (सागरवरगंभीरा तक) का कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रकट में लोगस्स कहें। तत्पश्चात समुद्देशविधि के सात खमासमण दें। समुद्देश विधि 1. शिष्य- खमा. इच्छकारेण तुन्भे अम्हं श्री..... समुद्दिसह,
गुरु- समुद्दिसामि। शिष्य- इच्छं। 2. शिष्य- खमा. संदिसह किं भणामि? गुरु- वंदित्ता पवेयह।
शिष्य- इच्छं। 3. शिष्य-खमा. इच्छाकारेण तुन्भे अम्हं श्री...... समुद्दिष्ठं? गुरुसमुद्दिट्ठ-3 खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्थेणं तदुभयेणं थिरपरिचियं कायव्वं। शिष्य- इच्छामो अणुसडिं।
4. शिष्य- खमा. तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहूणं पवेएमि। गुरुपवेयह। शिष्य- इच्छं।
5. शिष्य-खमा. खड़े-खड़े तीन नमस्कार मन्त्र गिनें।
6. शिष्य- खमा. तुम्हाणं पवेइयं, साहूणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करावेह। गुरु- करावेमो। शिष्य- इच्छं।
7. शिष्य- खमा. श्री....... समुद्दिसावणियं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थसूत्र, एक लोगस्स (सागरवरगंभीरा तक) कायोत्सर्ग, पूर्णकर प्रकट लोगस्स कहें।
__ 1. प्रचलित परम्परानुसार शिष्य- इच्छामि खमासमणो वंदिलं जावणिज्जाए। गुरु-तिविहेणं। शिष्य- मत्थएण वंदामि। शिष्य- इच्छा. संदि. भगवन्! वायणा संदिसाइं? गुरु- संदिसावेह। शिष्य- इच्छं।
2. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! वायणा लेशं? गुरु- जाव श्री लेहेह। शिष्य- इच्छं।
3. यदि कालिक सूत्र के योग चल रहे हों तो निम्न तीन खमासमण दें। शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भगवन्! कालमांडला संदिसाहुं? गुरुसंदिसावेह। शिष्य- इच्छं।