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________________ योगोद्वहन सम्बन्धी विविध विधियाँ ...221 तरह एक ही परम्परा के भिन्न-भिन्न समुदायों में ऐसे कई अन्तर हैं। • इन संकलित कृतियों में उद्देशविधि के अन्त में एक खमासमण पूर्वक 'अविधि आशातना मिच्छामि दुक्कडं' देने का और इसके पश्चात पवेयणा की क्रिया करने का भी सूचन है।21 उद्देश नन्दी एवं अनुज्ञा नन्दी के अतिरिक्त अन्य दिनों में करने योग्य उद्देशादि विधि पूर्वाचार्य उपदिष्ट सामाचारी के अनुसार अंगसूत्रों एवं उनके श्रुतस्कन्ध के उद्देश और अनुज्ञा दिनों में नन्दी विधि होती है। उन दिनों पूर्वकथित विधि के अनुसार उद्देशादि की विधि करनी चाहिए, शेष दिनों में उद्देश आदि की विधि इस प्रकार करेंउद्देश विधि ___ सर्वप्रथम कालग्रहण करें, प्रतिक्रमण एवं प्रतिलेखन करें, वसति संशोधन करें, काल प्रवेदन करें, स्वाध्याय की प्रस्थापना करें। उसके बाद गुरु के समीप आकर सात खमासमण पूर्वक उद्देशविधि करें। सर्वप्रथम एक खमासमण देकर ईर्यापथ प्रतिक्रमण करें। फिर खमा. इच्छा. संदि. भगवन् ! वसति पवेउं? गुरु-पवेह, इच्छं.। खमा. भगवन् सुद्धावसही, गुरु-तहत्ति। ___1. शिष्य- खमा. इच्छा. संदि. भग. मुहपत्ति पडिलेहुँ? गुरुपडिलेहेह इच्छं। योगवाही मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन कर दो बार द्वादशावत वन्दन करें। फिर अवग्रह से बाहर निकलकर कहें- इच्छाकारेण तुम्मे अम्हं श्री ... सुयक्खंधस्स अज्झयणे (वर्ग आदि हो तो उसका नाम लें) उद्दिसह। गुरुउहिस्सामि। 2. शिष्य खमा.- सदिसह किं भणामि? गुरु-वंदित्ता पवेयह, इच्छं। 3. शिष्य- खमा. इच्छा. भग. तुम्हे अहं श्री....उद्दिटुं? गुरु- उद्दिट्ट 3. खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्येणं तदुभयेणं सम्म जोगो कायव्वो, शिष्य- इच्छामो अणुसटुिं। ___4. शिष्य-खमा. तुम्हाणं पवेइयं, संदिसह साहूणं पवेएमि। गुरुपवेयह। शिष्य- इच्छं। 5. शिष्य- खमा. तीन नमस्कार मन्त्र गिनें।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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