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________________ योगोद्वहन सम्बन्धी विविध विधियाँ ...217 5. उसके बाद योगवाही मुनि 'इच्छं' शब्द कहकर एक खमासमण पूर्वक एक-एक नमस्कार मन्त्र गिनते हुए समवसरण की तीन प्रदक्षिणा दें। प्रदक्षिणा देते समय गुरु से तीन बार वासचूर्ण ग्रहण करें। 6. फिर एक खमासमणसूत्र पूर्वक वंदन कर बोलें- 'तुम्हाणं पवेइयं, साहूणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करावेह'- मैंने अमुक श्रुतस्कन्ध के विषय में आपको बतला दिया है, अन्य साधुओं को बतला दिया है, अब उस श्रुतस्कन्ध का अवधारण करने के लिए कायोत्सर्ग करवाइये। गुरु कहें'करावेमो। 7. फिर योगवाही शिष्य ‘इच्छं' पूर्वक एक खमासमणसूत्र से वंदन कर- 'अमुग सुयक्खंधाइ उद्दिसावणियं करेमि काउस्सग्गं जाव वोसिरामि' बोलकर सागरवरगंभीरा तक लोगस्ससूत्र का कायोत्सर्ग करें। पूर्णकर प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें। तदनन्तर उद्देस-अनुज्ञा नन्दि को स्थिर करने के लिए एक नमस्कार मन्त्र का कायोत्सर्ग कर प्रकट में नमस्कार मन्त्र बोलें। विशेष- . प्रत्येक अंगसूत्र, श्रुतस्कन्ध, अध्ययन, वर्ग, शतक आदि की उद्देशविधि पूर्ववत ही होती है। इन सभी में उक्त सात थोभवंदन होते हैं। • उद्देशादि विधि में मुख्य अन्तर यह है कि उद्देशविधि के समय 'सम्मं जोगो कायव्वो'- सम्यक योग करना चाहिए, समुद्देश विधि के समय 'थिरपरिचियं कायव्वं'- स्थिर-परिचित करना चाहिए और अनुज्ञाविधि के समय 'सम्मं धारणीयं, चिरं पालणीयं, अन्नेसि पि पवेयणीयं'- इस श्रुतस्कन्ध को सम्यक धारण करना चाहिए, चिरकाल तक इसका पालन करना चाहिए और अन्य मुनियों में भी इस श्रुतस्कन्ध या अमुक अध्ययन आदि का प्रवेदन करना चाहिए- ऐसा कहें।12 यदि साध्वी की अनुज्ञाविधि हो तो 'अन्नेसि पि पवेयणीयं यह वाक्य पद नहीं बोलना चाहिए, क्योंकि सामान्यतया साध्वी द्वारा वाचना नहीं दी जाती है और यह पद वाचनादान से सम्बन्धित है। • जिस प्रकार उद्देश विधि में गुरु से निवेदन, गुरु का प्रत्युत्तर, शिष्य का कथन, कायोत्सर्ग आदि क्रियाएँ की जाती है उसी तरह की आलापक विधि समुद्देश एवं अनुज्ञा विधि में भी की जाती है, केवल 'सम्म जोगो कायव्वो, थिर परिचियं कायव्वं, सम्मं धारणीयं... ये वाक्य पद अतिरिक्त बोले जाते हैं।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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