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________________ 172... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण उन पात्रों की भिक्षा ग्रहण न करें। कुछ आचार्यों के अनुसार अकल्पित वस्तु प्रासुक भोजन के बर्तनों से तीसरे क्रम तक स्पर्श कर रही हों, तो उस पात्र का आहार ले सकते हैं। कुछ आचार्यों के मतानुसार अकल्पित वस्तु दो परम्परा तक स्पर्श कर रही हों, तो भी उस पात्र का आहार आदि ग्रहण कर सकते हैं। . इसी तरह की सामाचारी ऊबड़-खाबड़ स्थानों पर बैठे हुए एवं परस्पर में सम्बद्ध दायक पुरुषों में भी जाननी चाहिए। . गणियोगी आहार का संग्रह न करें और कामातुर कुत्ता, बिल्ली, वृषभ, अश्व, मुर्गा, हाथी, नपुंसक एवं आधाकर्मी आहार का संस्पर्श न करें, इससे प्रवर्त्तमान तप का उपघात होता है। • गणियोग में उपयोग लिए गए पात्र आदि में कण मात्र भी भोजन का अंश न रहे, इसका पूरा ध्यान रखें, यदि रह जाये तो तप दूषित होता है। • गणियोगी सूखे प्रासुक हाथों से ही भिक्षादि ग्रहण करें। यदि भिक्षादाता अप्रासुक जल से युक्त हो अथवा अप्रासुक वस्तु से स्पर्शित हो तो उस स्थिति में आहार लेने पर आधाकर्म दोष लगता है। • गणियोगवाही स्वाध्याय आदि की समस्त प्रवृत्तियाँ वाचनाचार्य की अनुमति से करें, स्वेच्छा से कुछ भी न करें। यद्यपि सूत्र पुनरावर्तन और अनुप्रेक्षा, ये दो प्रकार के स्वाध्याय यथेच्छा कभी भी किए जा सकते हैं उसके लिए गुर्वाज्ञा आवश्यक नहीं है। • जैनाचार्यों के अनुसार गणियोगी को दिन की प्रथम पौरुषी के मध्य ही प्रवेदन एवं संघट्ट ग्रहण की अनुमति प्राप्त कर लेनी चाहिए, तभी उसके लिए आहारादि लेना कल्पता है। यदि प्रथम पौरुषी बीत जाने के पश्चात प्रवेदन आदि का अनुष्ठान करते हैं तो उस दिन उसे आहारादि ग्रहण करना नहीं कल्पता है। ... • गणियोग के दिनों में गणियोगी को शारीरिक असह्य कारण उत्पन्न हो जाये तो उसे वाचनाचार्य की अनुमति पूर्वक घृत-तेल आदि द्वारा हाथ-पैर आदि की मालिश करना तथा विगय द्रव्य से संसृष्ट हाथ आदि द्वारा दी जाती हुई भिक्षा ग्रहण करना कल्पता है। अब, गणियोगवाही किस प्रकार का भोजन-पानी ग्रहण कर सकता है? वह बताते हैं कक्कव- गुड़ बनाते समय इक्षुरस की एक अवस्था, इक्षुरस, गुड़पाक
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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