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________________ 142... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण 24. भगवतीसूत्र की अनुज्ञा होने के पश्चात संघट्टा एवं आउत्तवाणय निमित्त मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन नहीं किया जाता है, क्योंकि भगवती सूत्र के प्रारम्भ दिन से लेकर छह माह पूर्ण होने से पहले ही निर्धारित संघट्टे पूरे कर लिये जाते हैं। 25. असंखय अध्ययन, सप्तसप्तिका अध्ययन, खंधक, गौशालक और चमर नामक उद्देशक- इन पाँच का योगोद्वहन करते समय किसी कारणवश प्राभातिक काल शुद्ध रूप से ग्रहण नहीं हुआ हो, तो अन्य सभी काल ग्रहण के अनुष्ठान नष्ट हो जाते हैं । किन्तु उस दिन सम्बन्धी अनुष्ठान रहते हैं यानी दिन नहीं गिरता है। इस दिन आयंबिल करना चाहिए, ऐसा ज्ञानस्थविर कहते हैं। 26. योगवाही को अप्रतिलेखित वस्त्र धारण करके वसति से सौ कदम आगे गमन नहीं करना चाहिए, अन्यथा गृहीत संघट्टा विफल हो जाता है। (यहाँ अप्रतिलेखित से तात्पर्य संघट्टा लेते समय प्रतिलेखना पूर्वक जो वस्त्रादि लिए जाते हैं उससे अतिरिक्त वस्त्र आदि हैं। ) 27. सप्तसप्ततिका अध्ययन का योग करते समय प्राभातिक कालग्रहण के साथ प्रादोषिक, वैरात्रिक एवं अर्द्धरात्रिक काल ग्रहण करना कल्प्य है किन्तु इस अध्ययन सम्बन्धी कालानुष्ठान पूर्ण हो जाने के पश्चात सात दिन पर्यन्त अन्य योगवाहियों के साथ कालग्रहण नहीं करना चाहिए, वह शुद्ध नहीं होता है। सात दिन के बिना अर्द्धकाल भी ग्राह्य नहीं होता है। 28. कालिक सूत्रों के योगकाल में एक से सात काल ग्रहण हो जाने के पश्चात एक दिन बढ़ता है इसी तरह आगे भी सात-सात काल ग्रहण के बाद एक-एक दिन की वृद्धि होती है जैसे कि उत्तराध्ययनसूत्र के योग में 28 काल और 32 दिन होते हैं। उत्कालिक सूत्रों के योग में सात दिन के पश्चात एक दिन की वृद्धि होती है । 29. परम्परागत आचरणा से जिस मुनि के द्वारा सभी सूत्रों का योगोद्वहन कर लिया गया हो, उसके द्वारा ही आचारांग आदि सभी सूत्रों के प्रवेश एवं उत्तारण आदि की क्रिया करवायी जाती है । उस मुनि के अभाव में नंदीअनुयोगद्वारसूत्र के योग किए हुए मुनि के द्वारा योग प्रवेश और निर्गमन का अनुष्ठान करवाया जाना चाहिए। सेनप्रश्न में कहा गया है कि उपधान
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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