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________________ 130... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण योगवहन के लिए शुभाशुभ मुहूर्त का विचार योगोद्वहन, जैनागमों के अध्ययन का उत्कृष्ट उपक्रम है। इस चर्या में मुख्य रूप से आगम शास्त्रों का सम्यक एवं समुचित प्रशिक्षण दिया जाता है। अतः इसे शुभ दिन में प्रारम्भ करना चाहिए । गणिविद्या,25 विधिमार्गप्रपा 26 एवं आचार दिनकर 27 के अनुसार निम्न नक्षत्र आदि के होने पर योगोद्वहन में प्रवेश करना चाहिए अथवा उन शुभ योगों में योगोद्वहन प्रारम्भ करना चाहिए । योग - आगमसूत्रों का अध्ययन प्रारम्भ करने के लिए अमृतयोग, सिद्धियोग एवं रवियोग शुभ है। रविवार को हस्त, सोमवार को मृगशिरा, गुरुवार को पुष्य, मंगलवार को अश्विनी, 'बुधवार को अनुराधा, शुक्रवार को रेवती, शनिवार को रोहिणी नक्षत्र हो तो अमृत योग होता है। एकादशी के दिन गुरुवार, षष्ठी के दिन मंगलवार, त्रयोदशी के दिन शुक्रवार, नवमी - प्रतिपदा एवं अष्टमी - इन तीनों में से किसी भी तिथि के दिन रविवार, द्वितीया - दशमी-नवमी के दिन सोमवार हो तो उस दिन सिद्धि योग होता है। सूर्य के नक्षत्र से चन्द्रमा का नक्षत्र अर्थात प्रतिदिन के नक्षत्र गिनने पर दसवाँ, चौथा, छठा, नौवाँ, तेरहवाँ और बीसवाँ नक्षत्र आता हो तो उस दिन रवि योग होता है । योगवहन प्रारम्भ के लिए मृत्यु योग अशुभ है - रवि को अनुराधा, सोम को उत्तराषाढ़ा, मंगल को शतभिषा, बुध को अश्विनी, गुरु को मृगशिरा, शुक्र को आश्लेषा, शनि को हस्त नक्षत्र हो तो उन वारों में नक्षत्र जन्य मृत्यु योग होता है तथा रवि-मंगल को नन्दा, शुक्र- सोम को भद्रा, बुध को जया, गुरु को रिक्ता एवं शनि को पूर्णा तिथि हो तो तिथि में मृत्यु जन्य योग होता है। नक्षत्र - समवायांगसूत्र के अनुसार मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद ( मतान्तर से श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा), मूल, आश्लेषा, हस्त और चित्रा - ये दस नक्षत्र ज्ञान वृद्धिकर हैं। 28 गणिविद्या के अनुसार अश्विनी, अभिजित, अनुराधा, रेवती और चित्रा नक्षत्र भी विद्या धारण हेतु उत्तम कहे गये हैं। इसी प्रकार मृदु, ध्रुव, चर एवं क्षित्र नक्षत्र भी शुभ हैं 29 ज्ञान प्राप्ति के लिए निम्न नक्षत्र अशुभ माने गये हैं 1. संध्यागत- जिस नक्षत्र में सूर्य अस्त होने के समय रहता है, वह सन्ध्यागत नक्षत्र कहलाता है।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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