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योगोद्वहन : एक विमर्श ...129 का भाग छिद्र रहित हो तथा शान्ति प्रदायक, समतल और स्वच्छ छवि वाला हो, वह योगोद्वहन हेतु श्रेष्ठ माना गया है। सूक्ष्म जीवों के समूह से युक्त और दरार वाले आवास वर्जित कहे गये हैं। मुख्य रूप से गृहस्थ ने अपने लिए जो मकान बनवाया है वह योगोद्वहन के लिए सर्वथा उत्तम है।21 योगोद्वहन काल में स्थण्डिल भूमि कैसी हो?
जहाँ लोगों का आवागमन न हो, जीव-जन्तुओं की उत्पत्ति न हो, जल, वनस्पति, तृण, सर्पादि के बिलों से रहित हो, सूक्ष्म बीजादि की उत्पत्ति न हुई हो, भूमि विषम न होकर समतल हो, अन्दर से पोली न हो- इन दस लक्षणों से युक्त भूमि योगवाहियों के मल-मूत्र विसर्जन हेतु श्रेष्ठ मानी गई है।22 आशय यह है कि उक्त लक्षणोपेत भूमि की गवेषणा पूर्वक योगोद्वहन करना चाहिए। योगवाही के लिए आवश्यक उपकरण
जैनाचार्यों के निर्देशानुसार योगवाही के उपकरण मिट्टी, तुम्बी या काष्ठ निर्मित होने चाहिए तथा पूर्णत: साफ किए हुए शुद्ध पात्र होने चाहिए। पात्र लपेटने एवं बाँधने के वस्त्र भी नये और स्वच्छ होने चाहिए। इसी के साथ पात्ररज्जू (तिरपणी की डोरी), वस्त्र (उत्तरपट्टा) युक्त संस्तारक, छोटी पूंजणी, गोल आकार की कालग्रहण की दण्डी, आगमशास्त्र, वासचूर्ण, समवसरण, प्रासुक जल आदि उपकरण भी अपेक्षित हैं।23 योगोद्वहन हेतु काल विचार
योगोद्वहन प्रशस्त काल में करणीय है। सामान्यतया यह अनुष्ठान अध्यात्म मूलक होने पर भी अशुचि स्थान आदि से रहित, द्रव्यादिक एवं विद्युत पातादि से रहित प्राकृतिक शुद्धि के आधार पर ही संपादित किया जाता है। जब सुभिक्ष हो, साधुओं को उनकी आवश्यक वस्तुएँ सर्व सुलभ हों और विपत्तियों का अभाव हो तब कालिक एवं उत्कालिक योग किए जाने चाहिए। ___आर्द्रा नक्षत्र के प्रारम्भ से स्वाति नक्षत्र के अन्त तक का काल कालिक योगों के लिए उपयोगी माना गया है, क्योंकि उक्त नक्षत्रों में सूर्य का उदय रहने से विद्युत, बादल की गड़गड़ाहट एवं वृष्टि होने पर भी अस्वाध्याय नहीं होता है तथा इन दस नक्षत्रों के अतिरिक्त समय में बादल, विद्युत गर्जना आदि होने पर योगोद्वहन नहीं करना चाहिए।24 ___ तात्पर्य यह है कि योगोद्वहन हेतु वर्षावास सर्वोत्कृष्ट काल माना गया है।