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________________ 126... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण कर पाए और जब बेले-बेले की तपस्या के द्वारा उनका ज्ञानावरणीय कर्म क्षीण हुआ तो उनका अध्ययन द्रुतगति से आगे बढ़ा। भावार्थ है कि जैसे अशकट पिता ने त्रियोग पूर्वक आगाढ़ योग वहन किया, वैसे ही आगम अभ्यासी मुनियों को योगवहन करना चाहिए। वर्तमान में उत्तराध्ययनसूत्र के अन्तर्गत असंखय नामक चतुर्थ अध्ययन के योग, जो दो दिन में पूर्ण किये जाते हैं उसके पीछे उक्त कथानक ही मुख्य कारण माना गया है। इस प्रकार भाष्य एवं चूर्णि में आगाढ़-अनागाढ़ श्रुत का उल्लेख स्पष्ट रूप से प्राप्त होता है। तदनन्तर व्यवहारभाष्य की टीका में 'आगाढ़प्रज्ञ' शब्द मिलता है। जिसका वाच्यार्थ दुःसाध्य रूप से वहन करने योग्य भगवती आदि आगम ग्रन्थ ही है। भिक्षु आगम कोश में गहन गम्भीर ग्रन्थ को आगाढ़प्रज्ञ कहा है। व्यवहार टीका के अनुसार जिन श्रुत ग्रंथों के अध्ययन में अतिशय प्रज्ञा का उपयोग होता हो वे आगाढ़प्रज्ञ शास्त्र हैं। उनमें तद्प परिणत होने वाले की बुद्धि उनके तात्पर्यार्थ को ग्रहण कर अत्यन्त सूक्ष्म हो जाती है।12 तत्पश्चात मध्यकालवर्ती (विक्रम की 10वीं से 15वीं शती के) ग्रन्थों में विवेच्य भेदों का पूर्वापेक्षा विस्तृत स्वरूप उपलब्ध होता है। योगवाही के लक्षण योगवाही शब्द की निम्न व्याख्याएँ उपलब्ध होती हैं 'योगेन वहति इति योगवाही'- जो प्रशस्त योग के द्वारा आत्मा का वहन करता है वह योगवाही है। ___स्थानांगटीका के अनुसार 'श्रुतोपधानकारिणी' अर्थात तपोनुष्ठान पूर्वक श्रुत का अध्ययन करने वाला योगवाही कहलाता है।13 ___ अभिधानराजेन्द्रकोश के उल्लेखानुसार 'योगेन समाधिना सर्वत्रानुत्सुकत्व लक्षणेन वहतीत्येवं शीलो योगवाही' अर्थात जो समाधि योग में रत हैं एवं समस्त प्रकार के अप्रशस्त कार्यों में अनुत्सुक (उदासीन) है। इन लक्षणों से युक्त मुनि जो वहन करता है अर्थात शास्त्र अभ्यास रूप व्यापार में प्रवृत्त होता है वह शीलवान योगवाही है।14 योगवहन करने का सच्चा अधिकारी कौन हो सकता है? इस सम्बन्ध में विधिमार्गप्रपा के रचयिता आचार्य जिनप्रभसूरि के मतानुसार जो धर्म प्रिय हो,
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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