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________________ 124... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण उपरोक्त अस्वाध्याय काल में किसी भी आगमसूत्र का स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। नन्दी के अनुसार कालिक सूत्रों के नाम इस प्रकार हैं- 1. उत्तराध्ययन 2. दशाश्रुतस्कंध 3. कल्प - बृहत्कल्प 4. व्यवहार 5. निशीथ 6. महानिशीथ 7. ऋषिभाषित 8. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति 9. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति 10. चन्द्र प्रज्ञप्ति 11. क्षुद्रिकाविमान विभक्ति 12. महल्लिकाविमान प्रविभक्ति 13. अंग चूलिका 14. वर्ग चूलिका 15. विवाह चूलिका 16. अरुणोपपात 17. वरुणोपपात 18. गरुड़ोपपात 19. धरणोपपात 20. वैश्रमणोपपात 21. वेलन्धरोपपात 22. देवेन्द्रोपपात 23. उत्थान श्रुत 24. समुत्थान श्रुत 25. नागपरिज्ञापनिका 26. निरयावलिका 27. कल्पिका 28. कल्पावतंसिका 29. पुष्पिका 30. पुष्प चूलिका और 31. वह्निदशा | पाक्षिक सूत्रानुसार 32. आशीविष भावना 33. दृष्टिविष भावना 34. चारण सुमिण भावना 35. महासुमिण भावना 36. तेज निसर्ग भावना आदि । कालिक सूत्रों के योग में कालग्रहण, संघट्टा, आउत्तवाणय, स्वाध्याय प्रस्थापना, पाटली आदि क्रियाएँ अनिवार्य रूप से होती हैं। उत्कालिक सूत्र- जो सूत्रागम अस्वाध्याय काल (चार सन्ध्याओं- पूर्व सन्ध्या-सूर्योदय वेला, पश्चिम सन्ध्या सूर्यास्त वेला, अपराह्न - दिवस का मध्यकाल और अर्द्धरात्रि) के अतिरिक्त दिन और रात्रि के सभी प्रहरों में पढ़े जाते हैं वे उत्कालिक सूत्र कहलाते हैं। उत्कालिक सूत्रों के नाम ये हैं- 1. दशवैकालिक 2. कल्पाकल्प 3. चुल्लकल्पश्रुत 4. महाकल्पश्रुत 5. औपपातिक 6. राजप्रश्नीय 7. जीवाभिगम 8. प्रज्ञापना 9 महाप्रज्ञापना 10. प्रमादाप्रमद 11. नन्दी 12. अनुयोगद्वार 13 देवेन्द्रस्तव 14 तन्दुलवैचारिक 15. चन्द्रविद्या 16. सूर्यप्रज्ञप्ति 17. पौरुषीमंडल 18. मण्डल प्रदेश 19. विद्याचरणविनिश्चय 20. गणिविद्या 21. ध्यानविभक्ति 22. मरणविभक्ति 13. आत्म विशुद्धि 24. वीतराग श्रुत 25. संलेखना श्रुत 26. विहार कल्प 27. चरण विधि 28. आतुर प्रत्याख्यान और 29. महाप्रत्याख्यान | 10 - उत्कालिक सूत्रों के योग में कालग्रहण, संघट्टा आदि नहीं होते हैं । किन्तु खमासमण, कायोत्सर्ग, उद्देश, समुद्देश आदि शेष क्रियाएँ कालिक-उत्कालिक दोनों प्रकार के सूत्रों के योग में समान रूप से होती हैं।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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