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________________ स्वाध्याय-भाव चिकित्सा की प्रयोग विधि ...105 पाता है और संदर्भ को समझने के लिए पूर्व पठित को पुन: पढ़ना पड़ता है। इसलिए श्रेष्ठतम यही है कि स्वाध्याय का क्रम अविछिन्न रहे। 3. विषयोपरति- स्वाध्याय के लिए सत् साहित्य का पठन हो। वर्तमान समय में मानसिक विकृति को जन्म देने वाली अनेक पुस्तकें बहतायत से उपलब्ध हो रही है, जिस साहित्य के अध्ययन से जीवन विकृत हुआ जा रहा है। साहित्य का मन और शरीर पर प्रभाव पड़ता है अतएव सन्मार्गगामी साहित्य का ही वाचन करना चाहिए। 4. प्रकाश की उत्कंठा- स्वाध्याय करते समय यह आत्मविश्वास होना जरूरी है कि इस ज्ञानार्जन से अन्तरात्मा में अपूर्व प्रकाश फैल रहा है और साधना का शुभ संकल्प सुदृढ़ हो रहा है। 5. स्वाध्याय स्थान- स्वाध्याय का स्थान स्वच्छ, शांत और कोलाहल रहित हो। ऐसे स्थान पर स्वाध्याय में चित्त लगता है। स्वाध्याय आवश्यक क्यों? स्वाध्याय का लक्ष्य है स्वयं की चित्तवृत्तियों का निरीक्षण करते हुए पतनोन्मुखी प्रवृत्तियों का अपनयन करना। उत्तराध्ययनसूत्र में स्वाध्याय का मूल्य दर्शाते हुए श्रुत को जल की उपमा दी है और कहा है- क्रोधादि कषाय अग्नि सम है, श्रुत-शील और तप जल सदृश है, श्रुत की धारा से आहत किए जाने पर कषायाग्नि निस्तेज हो जाती है और बह श्रुतपाठी को जलाने में असमर्थ बन जाती हैं यानी स्वाध्याय से चित्त सरल, शान्त एवं मृद होता है।19 उत्तराध्ययन टीका में श्रुताभ्यासी जीव को अपूर्व आनन्द का अनुभवी ठहराते हुए लिखा है कि मुनि जैसे-जैसे अपूर्व और अतिशयरस युक्त श्रुत का अवगाहन करता है उसे वैसे-वैसे संवेग के नये स्रोत उपलब्ध होते हैं जिस कारण उसे अपूर्व आनन्द का अनुभव होता है।20 इस टीका में यह भी कहा गया है कि ध्यानयोग आदि किसी भी प्रकार की साधना में प्रयत्नरत साधक असंख्य भवों के संचित कर्मों को क्षीण करता है, किन्तु स्वाध्याय से विशेष कर्म निर्जरा होती है।21 दशवैकालिक सूत्र में चार प्रकार की समाधियों में दूसरी श्रुत समाधि बतलाई गई है। श्रुत समाधि (स्वाध्याय) से श्रुत ज्ञान का लाभ प्राप्त होता है, मन की चंचलता समाप्त होती है, आत्मा आत्मभाव में स्थिर बनती है और
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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