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________________ 94... आगम अध्ययन की मौलिक विधि का शास्त्रीय विश्लेषण संक्षेप में कहा जा सकता है कि अस्वाध्याय काल की अवधारणा आगम सम्मत है तथा परवर्ती साहित्य में प्राचीन ग्रन्थों के आधार पर ही तयुगीन समस्याओं के सन्दर्भ में उनका प्रतिपादन किया गया है। तुलनात्मक विवेचन यदि अनध्याय काल का तुलनात्मक स्तर पर अध्ययन किया जाए तो स्थानांगसूत्र, व्यवहारसूत्र, निशीथसूत्र, आवश्यकनियुक्ति, व्यवहारभाष्य, निशीथभाष्य, स्थानांग टीका, मूलाचार, प्रवचनसारोद्धार आदि उपलब्ध साहित्य के आधार पर ज्ञात होता है कि इन ग्रन्थों में अनध्याय काल से सम्बन्धित पृथक-पृथक विषयों की चर्चा की गई है। सामान्यतया स्थानांगसूत्र में अस्वाध्याय काल के बत्तीस प्रकारों का नामोल्लेख मात्र किया गया है।50 व्यवहारसूत्रकार ने अस्वाध्यायकाल में स्वाध्याय करने का निषेध किया है।51 निशीथसूत्र में इस नियम का विधिवत पालन न करने पर दोषों के निवारणार्थ प्रायश्चित्त बतलाया गया है।52 ___ आवश्यकनियुक्ति, व्यवहारभाष्य, निशीथभाष्य आदि में अस्वाध्याय काल के बत्तीस प्रकारों का आत्मसमुत्थ और परसमुत्थ ऐसे दो भेदों के आधार पर सविस्तृत प्रतिपादन किया गया है। इन ग्रन्थों में विषय निरूपण की दृष्टि से परस्पर में कुछ अन्तर है।53 प्रवचनसारोद्धार में यह निरूपण टीका साहित्य के आधार पर किया गया है।54 दिगम्बर परम्परावर्ती मूलाचार में द्रव्यादि शुद्धि की अपेक्षा से इस विषय का प्रतिपादन है।55 इस वर्णन से यह सुनिश्चित होता है कि उपर्युक्त सभी ग्रन्थ एक ही विषय से सम्बन्धित भिन्न-भिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं। यदि जैन धर्म की प्रचलित परम्पराओं के सन्दर्भ में विचार किया जाए तो यह निश्चित है कि श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों ही परम्पराएँ अस्वाध्याय काल को स्वीकार करती हैं तथा दोनों परम्पराओं के द्वारा माने गये अस्वाध्याय के प्रकारों में भी काफी समानता है। वैदिक परम्परा के आयुर्वेद शास्त्र में अस्वाध्याय काल का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि कृष्णपक्ष की अष्टमी और कृष्णपक्ष की समाप्ति के दो दिन (चतुर्दशी एवं अमावस्या), इसी प्रकार शुक्लपक्ष की अष्टमी, चतुर्दशी और पूर्णिमा, द्विसंध्याएँ (सुबह-शाम), अकाल में बिजली चमकना, मेघगर्जन होना,
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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