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________________ अनध्याय विधि : एक आगमिक चिन्तन ...91 दिशाओं (28 हजार धनुष परिमाण क्षेत्रफल) में विष्ठा, मूत्र, हड्डी, केश, नख आदि रहना तथा निकट स्थान में पंचेन्द्रिय शरीर सम्बन्धी गीली हड्डी, चमड़ा, मांस और रुधिर पड़ा रहना क्षेत्र अपेक्षा से अस्वाध्याय है। बिजली, इन्द्रधनुष, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, अकालवृष्टि, मेघगर्जन, मेघों के समूह से आच्छन्न दिशाएँ, दिशादाह, धूमिकापात-कुहरा, संन्यास, महोपवास, नन्दीश्वर महिमा आदि होना काल अपेक्षा से अस्वाध्याय है। राग-द्वेष और आर्त्त-रौद्र ध्यान रूप परिणति होना तथा पाँच महाव्रत, समिति, गुप्ति एवं दर्शनाचार का पालन नहीं करना भाव अपेक्षा से अस्वाध्याय है। जो काल द्रव्यादि से शुद्ध हो, उस काल में स्वाध्याय करना चाहिए।42 सामान्य कारण सम्बन्धी अस्वाध्याय आचार्य वसुनन्दि के अनुसार निम्न स्थितियों में अस्वाध्याय काल रहता है। वे इस सम्बन्ध में लिखते हैं कि यमपटह का शब्द सुनने पर, अंग से रक्तस्राव होने पर, किसी व्रत में अतिचार लगने पर एवं भिक्षादाता की देह अशुद्ध होते हुए भोजन कर लेने पर स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। तिल, मोदक, चिवड़ा, लाई,पुआ आदि चिकनाई युक्त सुगन्धित आहार करने पर और दावानल का धुआँ होने पर स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। एक योजन (चार कोश) के क्षेत्र में संन्यास विधि होने पर, महोपवासविधि, आवश्यक क्रिया एवं केश लोच के समय अध्ययन नहीं करना चाहिए। नगर या शहर में आचार्य का स्वर्गवास होने पर सात दिन तक स्वाध्याय करने का निषेध है। यदि किसी आचार्य का स्वर्गवास एक योजन की दूरी पर हो तो तीन दिन और अत्यन्त दूर होने पर एक दिन स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। - किसी प्राणी के तीव्र दुःख से मरणासन्न होने पर, घोर वेदना से तड़फड़ाने पर और एक निवर्त्तन (एक बीघा या गुंठा) क्षेत्र में तिर्यंचों का संचार होने पर स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। एक बीघा परिमित भूमि में स्थावरकायिक जीवों का घात होने पर, क्षेत्र अशुद्ध होने पर, दूर से दुर्गन्ध आने पर अथवा अत्यन्त सड़ी गन्ध के आने पर, शास्त्र पाठ का सम्यक अर्थ समझ में न आने पर, देह के शुद्ध न होने पर मुनि को शास्त्रों का अध्ययन नहीं करना चाहिए।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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