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________________ अनध्याय विधि : एक आगमिक चिन्तन ... 67 महाप्रतिपदा ( तिथि) सम्बन्धी अस्वाध्याय 1. आषाढ़ प्रतिपदा - आषाढ़ी पूर्णिमा के पश्चात आने वाली श्रावण मास की प्रतिपदा अर्थात एकम। 2. इन्द्रमह प्रतिपदा- आसोज मास की पूर्णिमा के पश्चात आने वाली कार्तिक की प्रतिपदा । 3. कार्तिक प्रतिपदा - कार्तिकी पूर्णिमा के पश्चात आने वाली मिगसर की प्रतिपदा । 4. सुग्रीष्म प्रतिपदा - चैत्री पूर्णिमा के पश्चात आने वाली वैशाख की प्रतिपदा । सामान्यतया किसी महोत्सव के पश्चात आने वाली प्रतिपदा को महाप्रतिपदा कहा जाता है। इन तिथियों में अस्वाध्याय काल रहता है अतः साधु-साध्वियों को इन दिनों में आगम सूत्रों का स्वाध्याय नहीं करना चाहिए। 7 सन्ध्या (काल) सम्बन्धी अस्वाध्याय प्रात:काल, संन्ध्याकाल, मध्याह्न और अर्धरात्रि - इन चार संध्याओं में अस्वाध्याय काल रहता है अतः इस समय स्वाध्याय करने का निषेध किया गया है। 8 1. पूर्व संध्या - सूर्योदय के समय पूर्व दिशा में रहने वाली लालिमा 'पूर्व संध्या' कही जाती है। यह रात्रि और दिवस का संधिकाल है। इसमें सूर्योदय के पूर्व आकाश में अधिक समय तक लालिमा रहती है और सूर्योदय के बाद भी अल्प समय तक रहती हैं अत: सूर्योदय से पूर्व 48 मिनट और सूर्योदय के बाद 48 मिनट अथवा कुछ आचार्यों के अनुसार सूर्योदय के पूर्व और पश्चात 24-24 मिनट अस्वाध्याय काल रहता है। 2. पश्चिम संध्या - पूर्व सन्ध्या के समान ही पश्चिम संध्या सूर्यास्त के समय होती है। इसमें सूर्यास्त के पूर्व लाल दिशा कम समय तक रहती है और सूर्यास्त के बाद लाल दिशा अधिक समय तक रहती है। इस सम्पूर्ण लाल दिशा के काल को पश्चिम संध्या कहा जाता है। इस समय सूर्यास्त पूर्व 24 मिनट और सूर्यास्त पश्चात 24 मिनट तक अस्वाध्याय काल रहता है। इन संध्याओं का काल दिशा लाल रहे जब तक रहता है अतः उपरोक्त समयावधि से हीनाधिक भी हो सकता है।
SR No.006245
Book TitleAgam Adhyayan Ki Maulik Vidhi Ka Shastriya Vishleshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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