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जैन आगम : एक परिचय ...61
122. नन्दी नवसुत्तणि, सू. 77 123. पक्खिसूत्र, स्वाध्याय सौम्य सौरभ, पृ. 191 124. उत्तराध्ययनसूत्र एक दार्शनिक अनुशीलन, पृ. 35 125. नन्दीसूत्र (नवसुत्ताणि) सू. 78 126. स्थानांग-अंगसुत्ताणि, खं. 1, 10/115 127. (क) छेदसूत्र एक परिशीलन, पृ. 32
(ख) आगम साहित्य एक अनुशीलन, पृ. 11 128. उत्तराध्ययन एक दार्शनिक अनुशीलन, साध्वी विनीतप्रज्ञा, पृ. 39 129. पुव्वभणितो अभणिओ य समासतो चूलाए अर्थोभण्यतेत्यर्थः।
नन्दीचूर्णि, पृ. 59 130. णंदणं णंदी, णंदंति वा अणयेति णंदी, णंदति वा नंदी पमोदो हरिसो कंदप्पो इत्यर्थः।
नन्दीचूर्णि, पृ. 1 131. अरहंत मग्ग उपदिढे जं सुतमणुसरित्ता किंचि णिज्जूहंते ते सव्वे पइणग्गा,
अहवा सुत्तमणुसरतो अप्पणो वयणकोसल्लेण जं धम्म देसणादिसु (गंथपद्धत्तिणा) भासंतो तं सव्वं पइण्णगं।
नन्दीचूर्णि, पृ. 60 132. चतुःशरण, गा. 2-7, पृ. 34-35 133. आउर पच्चक्खाण, (पइण्णय सूत्ताई) 211.1 भा.1, गा. 36 134. भत्तपरिन्ना, गा. 9 135. तंदुलाना वर्षश्तायुष्क प्रतिदिन भोग्यानां संख्याविचारोपलक्षितं तंदुलवैचारिक
अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 4, पृ. 2168 136. मेरूव्व पव्वयाणं सयं भूरमणुव्वचेव उदहीणं । चंदो इव ताराणं, तह संथारो सुविहियाणं ।।
संस्तारक प्रकीर्णक, गा. 30 137. महानिसीहकप्पाओ, ववहाराओ तहेव य। साहुसाहुणिअट्ठाए, गच्छायारं समुद्धिअं॥
गच्छाचार प्रकीर्णक, गा. 135 138. मरणविभक्ति, गा. 572-638 139. उत्तराध्ययनसूत्र एक दार्शनिक अनुशीलन, पृ. 51