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जैन आगम : एक परिचय ...59
82. आगम युग का जैन दर्शन, प्र. 21-22 83. दशवैकालिकनियुक्ति, गा. 16-18 84. निशीथ भाष्य, गा. 6500 85. दशाश्रुतस्कन्धनियुक्ति, गा. 1 86. पोराणमद्धमागह भासानिययं हवइ सुत्त।
___ निशीथचूर्णि, उद्धृत- आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ. 33 87. मगद्धविसय भासाणिबद्धं अद्धमागहं, अट्ठारस देसी भासाणिमयं वा अद्धमागह।
निशीथचूर्णि, वही, पृ. 34 88. भगवती सूत्र, 5/4-24 89. भगवं च णं अद्धमागहीए भासाए धम्म माइक्खइ। समवायांगसूत्र, पृ. 60 90. औपपातिक सूत्र, संपा. मधुकरमुनि, सू. 56 91. भासारिया जे णं अद्धमागहीए भासाए, भासेति। प्रज्ञापना सूत्र 1/107 92. सर्वमपि हि प्रवचनमर्द्धमागधिक भाषात्मकम् अर्धमागधिक भाषया तीर्थकृतां देशना प्रवृतेः।
नन्दी मलयगिरिवृत्ति, पृ. 83 93. आवश्यकनियुक्ति, गा. 92 94. नन्दी मलयगिरि टीका, पृ. 203 95. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ. 7 96. तत्त्वार्थसूत्र, श्रुतसागरीय वृत्ति, 1/20 97. उत्तराध्ययनसूत्र का दार्शनिक अनुशीलन, पृ. 5 98. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा, पृ. 31-32 99. नन्दीमलयगिरि टीका, पत्र 203 100. आचारांगनियुक्ति, नियुक्तिसंग्रह, गा. 16 101. (क) नन्दी (नवसुत्ताणि), सू. 81
(ख) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा. 1, पृ. 29 102. सूतगडं सुत्तकडं सूयगडं चेव गोण्णाई।
__ सूत्रकृतांगनियुक्ति, नियुक्तिसंग्रह, गा. 2 103. नन्दीसूत्र (नवसुत्ताणि), सू. 82 104. (क) तिष्ठन्ति प्रतिपाद्यतया जीवादयः पदार्था अस्मिन्निति स्थानम् । (ख) जीवाः स्थाप्यन्ते यथाऽवस्थित स्वरूप प्ररूपणया व्यवस्थाप्यन्ते।
नन्दीसूत्र, पृ. 226