SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 36...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में चाहिए, इसका भी प्रतिपादन किया गया है।72 ___ इस आलेख से स्पष्ट होता है कि मूल आगमों में वाचना का सामान्य उल्लेख मात्र ही है, व्याख्या साहित्य में तविषयक कुछ विस्तृत चर्चा की गई है और पूर्व-मध्यवर्ती साहित्य में यही स्वरूप किञ्चिद् विस्तार के साथ बतलाया गया है। यदि इससे परवर्ती साहित्य का अध्ययन किया जाए तो इस विषयक प्राचीनसामाचारी73 तिलकाचार्यसामाचारी74 सुबोधासामाचारी/5 विधिमार्गप्रपा6 आचारदिनकरा आदि अनेक ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं। इनमें विवेच्य विधि के साथ-साथ अन्य चर्चाएँ भी मिलती हैं। प्रचलित परम्परा में इन्हीं ग्रन्थों के अनुसार यह विधि प्रवर्तित है। इस दृष्टि से पूर्व वर्णित सभी ग्रन्थ प्रामाणिक कहे जा सकते हैं। यदि उत्तरकालीन (विक्रम की 15वीं शती से परवर्ती) साहित्य का पर्यवेक्षण किया जाए, तो इस विषय में सम्भवत: एक भी मौलिक ग्रन्थ नहीं मिलता है। इससे सम्बन्धित संकलित ग्रन्थ निश्चित रूप से देखे जाते हैं जो पूर्ववर्ती ग्रन्थों के आधार पर ही विनिर्मित हैं। इस तरह हम पाते हैं कि आगमकाल से मध्यकाल तक वाचना विधि एवं तत्सम्बन्धी नियमों का परिस्थिति सापेक्ष क्रमिक विकास हुआ है। वाचना दान एवं ग्रहण विधि बृहत्कल्पभाष्य एवं विधिमार्गप्रपा में प्रतिपादित वाचना दान एवं ग्रहण विधि निम्न है78 वाचना दान की प्रारम्भिक विधि - सर्वप्रथम वाचनाग्राही मुनि अनुयोग मण्डली (जहाँ आगम सूत्रार्थ का सामूहिक रूप में प्रतिपादन किया जाता हो उस भूमि) की प्रमार्जना करें। फिर दो आसन बिछाएं। एक आसन पर श्रुत दाता गुरु को बिठाएं और दूसरे आसन पर स्थापनाचार्य को स्थापित करें। स्थापनाचार्य वाचना दाता के दाहिने पार्श्व में हो। अनुयोग अनुज्ञा - उसके पश्चात वाचना दाता गुरु स्थापनाचार्य के समक्ष मुखवस्त्रिका की प्रतिलेखना कर द्वादशावर्त वन्दन करें। फिर एक खमासमणसूत्र पूर्वक वन्दन कर निवेदन करें- 'इच्छा. संदि. भगवन् अणुओगं आढवेमि' हे भगवन! आपकी इच्छा से अनुयोग (नन्दी आदि आगमों के सूत्र
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy