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12...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में 12. संस्कृत-हिन्दी कोश, पृ. 1035 13. आचारांगसूत्र, संपा. मधुकरमुनि, 2/1/1/324 14. अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 7, पृ. 413 15. धवला, 1/1/3/123, पृ. 437 16. भास्कर पत्रिका, भा. 7, किरण 2, जून 1940, पृ.82 17. साधुणी विसहू, साहू वि सहू। निशीथभाष्य, 1745 की चूर्णि 18. अभिधानराजेन्द्रकोश, देखिए 'साहुणी' शब्द, भा. 7, पृ. 804 19. साधयति सम्यग्दर्शनादि, योगैरपवर्गमिति साधुः। अनन्तज्ञानादि शुद्धात्मस्वरूपं, साधयन्तीति साधवः ॥
अभिधानराजेन्द्रकोश, भा. 7, पृ. 802 20. संस्कृत-हिन्दी कोश, पृ. 159 21. (क) स्थानांग, संपा. मधुकरमुनि, 5/2/162
(ख) समवायांग, संपा. मधुकरमुनि, 36/238 22. सुत्तपाहुड- श्रुतसागरीयटीका, गा. 22 23. गणिनी प्रवर्तिनी सा भिक्षुसदृशी मन्तव्या। बृहत्कल्पभाष्य, 6111 की टीका 24. एकादशांगविद् गणी। जैनेन्द्रसिद्धान्तकोश, भा. 2, पृ. 234 25. गणिनी महत्तरिका। मूलाचार, 192 की टीका 26. गणिनी अभिषेका सा छेदे, प्रवर्तिनी पुनर्मूले तिष्ठतीति ।
बृहत्कल्पभाष्य, 2410 की टीका 27. सभा सीसपडिच्छीणं, चोअणासु अणालस।
गणिनी गुणसंपना, पसत्थ सुरिसाणुग।। संविग्गा भीयपरिसाय, उग्गदंडाय कारणे। सज्झायज्झाणजुत्ता य, संगहे अ विसारआ।
गच्छाचारप्रकीर्णक, 127-128 28. व्यवहारसूत्र, सम्पा. मधुकरमुनि, 5/1-10 29. आचार्य स्थाने प्रवर्तिनी, वृषभस्थाने गणावच्छेदिनी वक्तव्या। यहाँ वृषभ का अर्थ उपाध्याय है।
बृहत्कल्पभाष्य, गा. 1070 30. बृहत्त्कल्पभाष्य, 4339 की टीका