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________________ 2...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महावीर ने अपने श्रमण-समुदाय को नौ भागों में विभक्त किया था, जिसे गण कहा गया। परमात्मा के प्रमुख शिष्य इन्द्रभूति, अग्निभूति, सुधर्मा स्वामी आदि इन गणों का संचालन करते थे, अतः वे गणधर के नाम से विश्रुत हुए । भगवान महावीर उपदेश देना, अन्य परम्परा के अनुयायियों के प्रश्नों का उपयुक्त प्रत्युत्तर देना, शिष्यों की जिज्ञासाओं का समाधान करना आदि कार्य स्वयं करते थे। भगवतीसूत्र इस तथ्य का साक्षात प्रमाण है। इसमें प्रभु ने गौतमस्वामी एवं अन्यों के द्वारा पूछे गये छत्तीस हजार प्रश्नों का समाधान किया है। अवशिष्ट कार्य गणधरों के अधीन थे। गणधर श्रमण- श्रमणी व्यवस्था का सम्यक् नियोजन करते थे। जहाँ तक भिक्षुणी संघ की पदव्यवस्था का प्रश्न है, उसमें श्रमणी संघ का दायित्व प्रथम शिष्या चन्दनबाला को सौंपा गया था, किन्तु उसे प्रवर्त्तिनीपद पर नियुक्त किया गया हो, इस सम्बन्ध में कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं होता है । चन्दना के नाम के साथ केवल आर्य्या (अज्ज) शब्द का प्रयोग दिखाई देता है। यद्यपि उसे प्रवर्त्तिनी के समकक्ष ही माना जाता था। इस वर्णन से इतना निर्विवाद सिद्ध हो जाता है कि भगवान महावीर के संघ में 'गणधर' के अतिरिक्त किसी भी अन्य पद मर्यादा का सूत्रपात नहीं हुआ था। इसके अनन्तर जैसे-जैसे साधु-साध्वी की संख्या में वृद्धि होने लगी तब प्रशासनिक-व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए विभिन्न पदाधिकारियों की आवश्यकता महसूस की गयी और तदनुरूप अनेक पदों का सृजन भी हुआ। ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर श्वेताम्बर श्रमण संघ में आचार्य, उपाध्याय, प्रवर्त्तक, स्थविर, गणावच्छेदक, गणी आदि सात पदों का उद्भव हुआ। ये पद एक साथ अस्तित्व में आए या क्रमशः यह कहना असम्भव है, किन्तु आचारचूला में इन पदों का नाम निर्देश युगपद् रूप से प्राप्त होता है। इस दृष्टि से इनका प्रादुर्भाव एक ही समय में हुआ, ऐसा माना जा सकता है। हमें सर्वप्रथम आचार्य आदि सप्त पदों के नाम आचारचूला में उपलब्ध होते हैं। तदनन्तर छेद सूत्रों एवं उनके व्याख्या ग्रन्थों में इन पदाधिकारियों के कार्य विभाजन, योग्यता, दायित्व आदि का विस्तृत विवरण प्राप्त होता है। इनमें भी कहीं आचार्य- उपाध्याय का नाम निर्देश है तो कहीं आचार्य, उपाध्याय एवं गणावच्छेदक- इन तीन पदों का सूचन है और कहीं आचार्य आदि पाँच पदों का
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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