SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ vi...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अध्याय-10: प्रवर्तिनी पदस्थापना विधि का सर्वांगीण स्वरूप 240-257 1. प्रवर्तिनी शब्द का अर्थ एवं गूढार्थ परिभाषाएँ 2. प्रवर्तिनी पद की उपादेयता 3. विविध दृष्टियों से प्रवर्तिनी पद की प्रासंगिकता 4. प्रवर्तिनी पद हेतु आवश्यक योग्यताएँ 5. अयोग्य को प्रवर्तिनी पद देने से लगने वाले दोष 6. प्रवर्तिनी पद हेतु शुभ मुहूर्त का विचार 7. प्रवर्तिनी द्वारा अनुपालनीय नियम 8. प्रवर्तिनी के अधिकार एवं उसके अपवाद 9. प्रवर्तिनी पदस्थापना-विधि का ऐतिहासिक अनुसंधान 10. प्रवर्तिनी पदस्थापना की मूल विधि 11. प्रवर्तिनी के आवश्यक कृत्य 12. प्रवर्तिनी के लिए निषिद्ध कृत्य 13. तुलनात्मक अध्ययन 14. उपसंहार। अध्याय-11 : पदारोहण सम्बन्धी विधियों के रहस्य 258-264 __1. पदस्थापित करने से पूर्व केशलोच की आवश्यकता क्यों? 2. पदग्राही मुनि पर वासनिक्षेप क्यों किया जाए? 3. पदस्थापना के समय प्रवर्तिनी एवं महत्तरा को स्कन्धकरणी एवं कम्बलयुक्त आसन क्यों दिया जाता है? 4. पदस्थापना, व्रतारोपण, योगवहन आदि क्रियानुष्ठानों में नन्दीसूत्र सुनाने की परम्परा कब से? 5. वर्तमान में पूर्ण नन्दीसूत्र न सुनाकर उसका अंश विशेष सुनाया जाता है ऐसा क्यों? 6. दाएँ कान में ही सूरिमन्त्र क्यों सुनाया जाता है? 7. आचार्य पदस्थापना विधि के दौरान पूर्व आचार्य नूतन आचार्य को वन्दन क्यों करते हैं? 8. सूरिमन्त्र एवं घनसार युक्त चन्दन से अक्षतों का अभिमन्त्रण क्यों? 9. नूतन पदधारी साधु-साध्वियों को अक्षतों से बधाने का अभिप्राय क्या है? 10. पदारोहण के दिन नूतन आचार्य के द्वारा दाहिने हाथ में स्वर्ण कंकण एवं मुद्रिका धारण करने का रहस्य 11. नूतन आचार्य को पीठफलक, चौकी एवं तीन कंबल परिमाण आसन क्यों प्रदान किए जाते हैं? सहायक ग्रन्थ सूची 265-270
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy