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________________ पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक ...lv 12. उपाध्याय पद की आराधना से होने वाले लाभ 13. उपाध्याय पद का वर्ण हरा क्यों? 14. उपाध्याय पद का वैशिष्ट्य 15. विविध सन्दर्भो में उपाध्याय पद की उपयोगिता 16. उपाध्यायपद-विधि का ऐतिहासिक अनुशीलन 17. उपाध्याय पदस्थापना विधि 18. तुलनात्मक विवेचन 19. उपसंहार। अध्याय-8 : आचार्य पदस्थापना का शास्त्रीय स्वरूप 143-224 1. आचार्य शब्द का अर्थ एवं विभिन्न परिभाषाएँ 2. जैन साहित्य में आचार्य के लक्षण 3. आचार्य के शास्त्रोक्त गुण 4. जैन वाङ्मय में आचार्य के प्रकार 5. पद स्थापना के अनुसार आचार्य के दो भेद 6. आचार्य का महिमा मंडन 7. आचार्यपद की उपादेयता 8. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में आचार्यपद की प्रासंगिकता 9. आचार्य के विशेष अधिकार 10. आचार्य और उपाध्याय के गण निर्गमन के कारण 11. आचार्य के व्यावहारिक उत्तरदायित्व 12. आचार्य के प्रति शिष्य के कर्त्तव्य 13. आचार्य पद का अधिकारी कौन? 14. आचार्य पद के अयोग्य कौन? 15. अयोग्य को अनुज्ञा देने से होने वाले दोष 16. आचार्य की आशातना के दुष्परिणाम 17. आचार्य की चरण प्रमार्जन विधि 18. आचार्य द्वारा भिक्षार्थ न जाने के हेतु 19. आचार्यपद स्थापना हेतु मुहूर्त-विचार 20. अनुयोगाचार्य का स्वरूप 21. अनुयोग शब्द का अर्थ 22. अनुयोग की विभिन्न परिभाषाएँ 23. अनुयोग के एकार्थवाची 24. वार्तिक (अनुयोग) के अधिकारी 25. आगम ग्रन्थों में अनुयोग के प्रकार 26. अनुयोगाचार्य के लक्षण 27. आचार्य पद विधि की ऐतिहासिक अवधारणा 28. आचार्य पदस्थापना विधि 29. तुलनात्मक विवेचन 30.उपसंहार। अध्याय-9 : महत्तरा पदस्थापना विधि का तात्त्विक स्वरूप 225-239 1. महत्तरा शब्द का अर्थ 2. आधुनिक सन्दर्भ में महत्तरा पद की उपयोगिता 3. महत्तरा पदग्राही के लिए आवश्यक योग्यताएँ ? 4. महत्तरापद हेतु शुभाशुभ काल विचार 5. महत्तरापद विधि की अवधारणा का इतिहास 6. महत्तरा पदस्थापना विधि 7. तुलनात्मक विवेचन 8. उपसंहार।
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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