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________________ उपाध्याय पदस्थापना विधि का वैज्ञानिक स्वरूप...133 पदस्थापन विधि की अपेक्षा- सामाचारीसंग्रह,75 प्राचीनसामाचारी,76 तिलकाचार्य सामाचारी,7 सुबोधासामाचारी एवं आचारदिनकर9 इन ग्रन्थों में उपाध्याय-विधि स्वतन्त्र रूप से प्रतिपादित है, परन्तु वहाँ इस विधि का विस्तृत वर्णन न करके उसे आचार्य पदस्थापना की भांति सम्पादित करने का उल्लेख किया गया है, जबकि विधिमार्गप्रपा में इसे वाचनाचार्य पदस्थापना के समान निष्पादित करने का सूचन है।80 ____ ध्यातव्य है कि प्राचीनसामाचारी आदि ग्रन्थों का अनुसरण करने वाली परम्पराएँ तद् ग्रन्थों में उल्लिखित आचार्यपद स्थापना के समान उपाध्याय पद स्थापना विधि सम्पन्न करें। जैसे कि तिलकाचार्यसामाचारी के अनुसार उपाध्याय अनुज्ञा की विधि सम्पन्न करवाने वाला गुरु इसी में वर्णित आचार्य पदस्थापना के समान यह विधि करवाएं, अन्य ग्रन्थों के आधार से नहीं, क्योंकि सभी में सामान्य रूप से सामाचारी भेद हैं। सामाचारीसंग्रह आदि में यह निर्देश भी दिया गया है कि उपाध्याय योग्य शिष्य को अक्षमुष्टि न दें, आचार्य उसे वन्दन न करें। उस दिन कालग्रहण न लें और सभी आलापक पाठ 'उपाध्याय' के अभिलाप से बोलें। तिलकाचार्य सामाचारी में कुछ अक्षमुष्टि देने का सूचन है। आसनविधि की अपेक्षा- सामान्य मुनियों की अपेक्षा उपाध्याय उच्च स्थानीय होते हैं अत: इस पद की शोभार्थ उनका आसन अपेक्षाकृत ऊँचा होना चाहिए। विधिमार्गप्रपाकार81 ने इस सम्बन्ध में दो कंबल परिमाण आसन देने का सूचन किया है। इससे ज्ञात होता है कि उपाध्याय को ऊंचे आसन पर बैठना चाहिए। सामाचारीसंग्रह 2 एवं प्राचीनसामाचारी83 में आसन दान का निर्देश तो है, किन्तु वह किस परिमाण का होना चाहिए? इसकी कोई चर्चा नहीं की है। तिलकाचार्यसामाचारी,84 सुबोधासामाचारी85 एवं आचारदिनकर86 में इस विषयक किसी तरह का निर्देश नहीं दिया गया है। सम्भवत: आचार्य पदस्थ के समान ही इन्हें नवनिर्मित आसन दिया जाता है, क्योंकि निर्दिष्ट ग्रन्थों के अनुसार यह विधि आचार्यपद स्थापना के समान की जाती है। यद्यपि इनमें आसन परिमाण का कोई सूचन नहीं है। नन्दीपाठ विधि की अपेक्षा- जैन आम्नाय में गृहीत पद के स्थिरीकरण
SR No.006244
Book TitlePadarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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