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भिक्षा विधि का स्वरूप एवं उसके प्रकार ... 11
के चारों कोनों में समान श्रेणी से घूमते हुए जो घर आते हैं उनसे भिक्षा मिले तो लूंगा, अन्यथा नहीं - इस संकल्प से भिक्षा प्राप्त करना पेटा भिक्षाचरी है।
2. अर्धपेटा चौकोर कल्पित गाँव की दो दिशाओं में स्थित पंक्ति बद्ध घरों में जाते हुए मुझे भिक्षा मिले तो लूंगा, अन्यथा नहीं - इस संकल्प से भिक्षा प्राप्त करना अर्धपेटा भिक्षाचर्या है।
3. गो - मूत्रिका - गो - मूत्रिका की तरह बल खाते हुए बायीं पंक्ति के घरों से दायीं पंक्ति के घरों में और दायीं पंक्ति के घरों से बायीं पंक्ति के घरों में जाते हुए जो भिक्षा मिलेगी वही लूंगा, अन्य घरों से नहीं - इस संकल्प के साथ भिक्षाटन गो-मूत्रिका है।
4. पतंगवीथिका जिस प्रकार पतंगा अनियत क्रम से उड़ता है, उसी प्रकार अनियत क्रम से गमन करते हुए भिक्षा मिलेगी तो लूंगा, अन्यथा नहींइस संकल्पपूर्वक भिक्षाटन करना पतंगवीथिका है।
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5. शम्बूकावर्त्ता - शंख के आवर्त्तो की तरह भिक्षाटन करना शम्बूकाव कहलाता है। इस भिक्षा विधि के दो प्रकार हैं
(i) आभ्यन्तर शम्बूकावर्त्ता शंख के नाभि क्षेत्र से प्रारंभ कर बाहर आने वाले आवर्त्त की तरह गाँव के मध्य भाग से भिक्षाटन करते हुए बाहरी भाग में आने तक के घरों में जो कुछ मिलेगा वही लूंगा- ऐसा संकल्प करना आभ्यन्तर शम्बूकावर्त्ता है ।
(ii) बाह्य शम्बूकावर्त्ता बाहर से भीतर जाने वाले शंख के आवर्त की भांति गाँव के बाहरी भाग से भिक्षाटन करते हुए भीतरी भाग में पहुँचने तक के घरों में जो मिलेगा वही लूंगा। इस संकल्प पूर्वक भिक्षाटन करना बाह्य शम्बूकावर्त्ता नाम की भिक्षाचर्या है।
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6. आयत गत्वा - प्रत्यागता उपाश्रय से निकलने के पश्चात सीधे चलते हुए मार्ग में किसी एक पंक्ति के प्रथम घर से लेकर अन्तिम घर तक में प्राप्त हुई भिक्षा को ग्रहण कर सीधे उपाश्रय में लौट आना, आयत गत्वाप्रत्यागता नाम की भिक्षाचर्या है।
इन छह प्रकारों में शम्बूकावर्त्त के बाह्य और आभ्यंतर तथा आयत गत्वा प्रत्यागता के गत्वा और प्रत्यागता ऐसे दो-दो भेद करने पर आठ प्रकार होते हैं | 22
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