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आहार सम्बन्धी 47 दोषों की कथाएँ... 253
पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 52, 53
13. (क) पिण्डनिर्युक्ति, गा. 433-34 की टीका, पृ. 127 (ख) निशीथभाष्य, 4401, 4402 की चूर्णि, पृ. 410 (ग) जीतकल्पभाष्य, 1335-39
(घ) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 54
14. (क) पिण्डनिर्युक्ति, 436
(ख) पिण्डनिर्युक्तिभाष्य 33-34 की टीका, पृ. 128 (ग) निशीथभाष्य, 4406-4408 की चूर्णि, पृ. 411 (घ) निशीथभाष्य, 2694-96 की टीका, पृ. 20 (च) जीतकल्पभाष्य, 1342-47
(छ) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 54-55
15. (क) पिण्डनिर्युक्ति, 460 की टीका, पृ. 133 (ख) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 57
16. (क) पिण्डनिर्युक्ति, 465 टीका, पृ. 135-136 (ख) निशीथभाष्य, 4451 की चूर्णि, पृ. 421 (ग) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 60
17. जीतकल्पभाष्य के अनुसार गिरिपुष्पित नगर कौशल देश में था।
जीतकल्पभाष्य, 1395
18. (क) निशीथ चूर्णि (पृ. 420 ) में इंद्रदत्त नाम का उल्लेख मिलता है। (ख) पिण्डविशुद्धिप्रकरण टीका, पृ. 58-60
19. (क) पिण्डनिर्युक्ति, 466-73 की टीका, पृ. 134-136
(ख) निशीथभाष्य, 4446-53 की चूर्णि, पृ. 419-421 (ग) जीतकल्पभाष्य, 1395-97
20. (क) पिण्डनिर्युक्ति, गा. 474-480 की टीका, पृ. 137-139
(ख) जीतकल्पभाष्य, 1398-1410
(ग) पिण्डविशुद्धि टीका, पृ. 60-63
(घ) निशीथभाष्य एवं उसकी चूर्णि में केवल क्रोधपिण्ड और मानपिण्ड से सम्बन्धित कथाएँ हैं। निशीथसूत्र में मायापिण्ड और लोभपिण्ड से संबंधित सूत्र का उल्लेख है लेकिन उसकी व्याख्या एवं कथा नहीं है।