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आहार सम्बन्धी 47 दोषों की कथाएँ 237 'अहो ! आचार्य के पास परिग्रह के रूप में अग्नि भी है।' इस प्रकार चिन्तन करने पर देवता ने उसकी भर्त्सना करते हुए कहा- 'हे अधम शिष्य ! गुणों से युक्त आचार्य के बारे में भी तुम इस प्रकार का चिन्तन करते हो ।' तब देवता ने मोदक-प्राप्ति की यथार्थ बात शिष्य को बताई । शिष्य के भावों में परिवर्तन हुआ। उसने आचार्य से क्षमा मांगी और सम्यक रूप से आलोचना की। 12
12. दूती दोष : धनदत्त कथा
विस्तीर्ण ग्राम के पास गोकुल नामक गाँव था। वहाँ धनदत्त नामक कौटुम्बिक था। उसकी पत्नी का नाम प्रियमति तथा पुत्री का नाम देवकी था। उसी गाँव में सुंदर नामक युवक से उसका विवाह हुआ। उसके पुत्र का नाम बलिष्ठ और पुत्री का नाम रेवती था । पुत्री का विवाह गोकुल ग्राम में संगम के साथ हुआ। आयु पूर्ण होने पर प्रियमती कालगत हो गई। धनदत्त भी संसार से विरक्त होकर दीक्षा लेकर गुरु के साथ विहरण करने लगा। कालान्तर में ग्रामानुग्राम विहार करते हुए धनदत्त अपनी पुत्री देवकी के गाँव में आया। उस समय उन दोनों गाँवों में परस्पर वैर चल रहा था। विस्तीर्ण ग्रामवासियों ने गोकुल ग्राम के ऊपर हमला करने की सोची । धनदत्त मुनि गोकुल ग्राम में भिक्षा के लिए प्रस्थित हुए तब शय्यातरी देवकी ने कहा- 'आप गोकुल ग्राम में जा रहे हैं। वहाँ अपनी दोहित्री रेवती को कहना कि तुम्हारी माँ ने संदेश भेजा है कि यह गाँव तुम्हारे गाँव के ऊपर दस्यु दल के साथ प्रच्छन्न रूप से हमला करने आयेगा अतः अपने सभी कुटुम्बियों को एकान्त में सुरक्षित स्थान पर पहुँचा दो।' साधु ने सारी बात रेवती को कह दी। रेवती ने अपने पति को सारी बात बताई। उसने सारे गाँव को यह सूचना दे दी। सारा गाँव कवच आदि पहनकर युद्ध के लिए तैयार हो गया ।
दूसरे दिन सेना विस्तीर्ण गाँव में पहुँची और युद्ध प्रारंभ हो गया। सुन्दर और बलिष्ठ दोनों दस्युदल के साथ गए। संगम गोकुल में ही था। वे तीनों युद्ध में काल कवलित हो गए। देवकी ने पति, पुत्र और जंवाई के मरण को सुनकर विलाप करना प्रारंभ कर दिया। लोग उसे समझाने के लिए आए। उन्होंने कहा‘यदि गोकुल ग्राम में सैन्य बल आने की सूचना नहीं होती तो वे सन्नद्ध होकर युद्ध नहीं करते और न ही तुम्हारे पति आदि की मृत्यु होती । किस दुरात्मा ने गोकुल गाँव में सूचना भेजी ?' लोगों से इस प्रकार की बात सुनकर देवकी रूदन