________________
पिण्डनिर्युक्त (गा. 58-59)
1. आधाकर्म
2. औद्देशिक
3. पूतिकर्म
4. मिश्रजात
5. स्थापना
6. प्राभृतिका
7. प्रादुष्करण 8. क्रीतः
9. प्रामित्य
10. परिवर्तित
11. अभिहत
12. उद्भिन्न
भिक्षाचर्या का ऐतिहासिक एवं तुलनात्मक अनुसंधान ... 211
| पंचाशक, पंचवस्तुक
अनगारधर्मामृत
(5/5-6)
(13/5-6) (741-742) प्रवचनसारोद्धार (67/564-565)
1. आधाकर्म
2. औद्देशिक
3. पूतिकर्म 4. मिश्रजात
5. स्थापना
6. प्राभृतिका
7. प्रादुष्कर
8. क्रीत
9. प्रामित्य
10. परिवर्तित
11. अभिहृत
12. उद्भिन्न
13. मालापहृत 13. मालापहृत
14. आच्छेद्य
| 15. अनिसृष्ट
16. अध्यवपूरक
14. आच्छेद्य
15. अनिसृष्ट
16. अध्यवपूरक
मूलाचार
(गा.422-423)
1. औद्देशिक
2. अध्यधि
3. पूर्ति
4. मिश्र
5. स्थापित
6. बलि
7. प्रावर्तित
8. प्रादुष्कार
9. क्रीत
10. प्रामृष्य
11. परिवर्तक
12. अभिघट
13. उद्भिन्न
14. मालारोह
15. अच्छेद्य
16. अनिसृष्ट
1. उद्दिष्ट
2. साधिक
3. पूर्ति
4. मिश्र
5. प्राभृतक
6. बलि
7. न्यस्त
8. प्रादुष्कृत
9. क्री
10. प्रामित्य 11. परिवर्तित
12. निषिद्ध
13. अभिहृत
14. उद्भिन्न
15. आच्छेद्य
16. आरोह
इस चार्ट के आधार पर कुछ नये निष्कर्ष इस रूप में प्रस्तुत किए जा
सकते हैं
• मूलाचार और अनगार धर्मामृत में अध्यवपूरक के स्थान पर अध्यधि या साधिक दोष है।
• स्थापना दोष के स्थान पर मूलाचार में स्थापित दोष तथा अनगार धर्मामृत में न्यस्त दोष है ।
• मूलाचार में अभिहत दोष के स्थान पर अभिघट दोष है।
• मालाहृत दोष के स्थान पर मूलाचार में मालारोह तथा अनगार धर्मामृत में आरोह दोष का उल्लेख है।
·
प्राभृतिका दोष के स्थान पर मूलाचार में प्रावर्तित तथा अनगार धर्मामृत में प्राभृतक दोष है।