________________
महापरिष्ठापनिका (अंतिम संस्कार) विधि सम्बन्धी नियम...385 रजोहरण आदि उपकरण रखें। कुछ आचार्यों के मतानुसार जिनकल्पी, स्थविरकल्पी या साध्वी हो तो क्रमश: बारह, चौदह एवं पच्चीस उपकरण स्थापित करें।
यदि यथानुरूप उपकरण स्थापित नहीं करते हैं तो असामाचारी और आज्ञा की विराधना होती है। इसी के साथ उपकरणों से रहित शव देखकर श्मशान मालिक कुपित हो सकता है, राज आदि या नगरजनों को ज्ञात होने पर किसी पर हत्या का आरोप भी लगाया जा सकता है। गाँव की शासन व्यवस्था पर भी आरोप लग सकता है। श्मशान मालिक मिथ्यात्वी हो तो किसी प्रकार का उपद्रव कर सकता है, अत: उपकरण अवश्य रखने चाहिए।21
10. निवर्त्तन द्वार- आचार्य हरिभद्रसूरि कहते हैं कि मृतक श्रमण को जिस मार्ग से परिष्ठापन हेतु ले जाया गया है, शव को वहन करने वाले श्रमण पुन: उसी मार्ग से वसति की ओर न लौटें अपितु स्थण्डिल भूमि का कुछ भाग अतिक्रमित हो जाने के बाद अन्य मार्ग से चलते हुए वसति में लौटें। क्योंकि उसी मार्ग से लौटने पर असामाचारी होती है। कदाचित व्यन्तरादि से आवेष्टित होकर शव उत्थित हो जाए तो आने वाले मार्ग की ओर दौड़ता हुआ वसति की
ओर लौटते हुए श्रमणों का अनिष्ट भी कर सकता है, अत: परिष्ठापनकर्ता मुनियों को अन्य मार्ग से वसति की ओर गमन करना चाहिए। ___11. उत्थानद्वार- नियुक्तिकार भद्रबाहुस्वामी शव परिष्ठापन विधि के अन्तर्गत उत्थान द्वार में कहते हैं22 कि मृत श्रमण को स्थंडिल भूमि की ओर ले जाते समय यदि वह वसति में उत्थित हो जाए तो मुनियों को वसति छोड़ देनी चाहिए। यदि निवेशन (एक द्वार से आवेष्टित अनेक घर अर्थात एक मुख्य द्वार के भीतर अनेक घरों के बीच में उठ जाए तो निवेशन छोड़ देना चाहिए। यदि मोहल्ले में गृहपंक्तियों के बीच उठ जाए तो मोहल्ला छोड़ देना चाहिए। यदि गांव के बीच उत्थित हो जाए तो आधा गांव छोड़ देना चाहिए। यदि गांव के मुख्य द्वार पर उत्थित हो जाए तो सम्पूर्ण गाँव ही छोड़ देना चाहिए। यदि गाँव
और उद्यान के बीच उठ जाए तो मण्डल अर्थात देश का लघुतम भाग छोड़ देना चाहिए। यदि उद्यान में उत्थित हो जाए तो काण्ड अर्थात देश का बड़ा भाग छोड़ देना चाहिए। यदि उद्यान और नैषेधिकी (शव परिष्ठापन भूमि) के बीच उठ जाए तो उस देश का ही परित्याग कर देना चाहिए। यदि परिष्ठापन भूमि में उठ