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वर्षावास सम्बन्धी विधि-नियम...309 सन्दर्भ-सूची 1. जिनभाषित, सन 2006, त्रैमासिक अंक, पृ. 30 2. बृहत्कल्पभाष्य, 1/36 3. पज्जोसमणाए अक्खराइ, होति उ इमाइं गोण्णाइं।
परियायव वत्थवणा, पज्जोसमणा य पागइया।। परिवसणा पज्जुसणा, पज्जोसमणा य वासावासो य। पढमसमोसरणं ति य, ठवणा जेट्ठोग्गहेगट्ठा।।
(क) दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति, 53, 54 की चूर्णि (ख) निशीथ भाष्य, 3138-3139 की चूर्णि
(ग) बृहत्कल्पभाष्य, 4242 की चूर्णि 4. कप्पइ निग्गंथाणं वा णिग्गंथीणं वा एवं विहेणं विहारणेणं विहरमाणाणं आसाढपुण्णिमाए वासावासं वसित्तए।
कल्पसूत्र, कल्पमंजरी टीका 17, पृ. 74 5. कल्पसूत्र नियुक्ति, गा. 16 की चूर्णि 6. (क) बृहत्कल्पभाष्य, 4280-4284
(ख) निशीथ भाष्य, 3153 की चूर्णि 7. समणे भगवं महावीरे वासाणं सवीसइराए मासे विइक्कंते वासावासं पज्जोसवेइ।
दशाश्रुतस्कन्ध, 8 परि सू. 223 8. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति 68 की चूर्णि
9. श्री भिक्षु आगम विषय कोश, भाग-2, पृ. 348-49 10. दशाश्रुतस्कन्ध नियुक्ति, 55-56 की चूर्णि 11. वही, 87 12. स्थानांगसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 5/2/100 13. वही, 5/2/99 14. बृहत्कल्पभाष्य, 2741, 2742 15. (क) भगवतीआराधना, गा. 423 की विजयोदया टीका, पृ. 334
(ख) अनगारधर्मामृत-ज्ञानदीपिका, 9/80-81, पृ. 686 16. आचारचूला, मुनि सौभाग्यमलजी, 2/3/1/111 17. बृहत्कल्पभाष्य, 2736 18. बृहत्कल्पभाष्य, 583 की टीका 19. भगवतीआराधना, गा. 423 की विजयोदया टीका, पृ. 333, 20. दशाश्रुतस्कन्ध, 8 परि सू. 284 की चूर्णि।