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________________ वसति (आवास) सम्बन्धी विधि- नियम... 261 8. बृहत्कल्पसूत्र, संपा. मधुकर मुनि, 1/28,32,34,30,12 9. आचारांगसूत्र, 2/1/67-71, पृ. 184-192 10. वही, 2/2/72-76 11. उत्तराध्ययनसूत्र, 35/6-7 12. आचारांगसूत्र, 2/3/91-98 13. मूलाचार, 4/155 14. भगवती आराधना, 632-633 15. मूलाचार, 10/951 16. वही, 10/953 17. वही, 5/357 18. वही, 10/654-6555 19. कालाइक्कंतोवट्ठाण, अभिकंत अणभिकंता य । वज्जा य महावज्जा, सावज्ज महप्पकिरिया य ॥ (क) वही, 2/2/77-86 (ख) पंचवस्तुक, गा. 712-716 20. आचारांगसूत्र, मुनि सौभाग्यमलजी, 2/3/87 21. पंचवस्तुक, गा. 706 22. वही, गा. 707 23. वही, गा. 708 24. वही, गा. 709 25. वही, 722-23 26. मूलाचार का समीक्षात्मक अध्ययन, पृ. 293 27. वही, पृ. 293 28. भगवती आराधना, 152 की टीका 29. बृहत्कल्पभाष्य, गा. 582 30. प्रवचनसारोद्धार, गा. 871-873 31. धर्मशास्त्र का इतिहास, भा. 1, पृ. 491 32. (क) ओघनियुक्ति भाष्य, गा. 76-77 (ख) बृहत्कल्प भाष्य, गा. 149-150 (ग) प्रवचनसारोद्धार, गा. 879-80
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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