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पात्र ग्रहण सम्बन्धी विधि - नियम... 239
14. वही, 477
15. आचारांगसूत्र, 2/6/1/590-591
16. वही, पृ. 272
17. दुविहाय होंति पाया, जुन्ना य नवाय जे उ लिप्पंति । जुन्ने दाएऊणं, लिंपइ पुच्छा य इयरेसिं ।। पुव्वण्ह लेवदाणं, लेवग्गहणं सुसंवरं काउं। लेवस्स आणणा लिंपणे, जयणा विही वोच्छं ||
(क) ओघनियुक्ति, 377-379 (ख) धर्मसंग्रह, 3/159-160
18. तज्जाय जुत्ति लेवो, खंजण लेवो य होइ बोधव्वो । मुद्दियनावाबंधो, तेणय बंधेण
पडिकुड्ठो ||
(क) ओघनियुक्ति, 402
(ख) धर्मसंग्रह, 3, पृ. 160-162