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________________ Ixiv... जैन गृहस्थ के व्रतारोपण सम्बन्धी विधियों का प्रासंगिक .... अध्याय-7 : उपासक प्रतिमाराधना विधि का शास्त्रीय विश्लेषण 418-456 • उपासक प्रतिमा का अर्थ गाम्भीर्य • प्रतिमाओं के विभिन्न प्रकार1. श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में नाम विषयक मतभेद 2. श्वेताम्बर और दिगम्बर परम्पराओं में क्रम विषयक मतभेद 3. श्वेताम्बर एवं दिगम्बर आम्नायों में अन्य मतभेद। • ग्यारह प्रतिमाओं का स्वरूप • प्रतिमाओं का वर्गीकरण • उत्कृष्ट आदि की अपेक्षा प्रतिमाओं का स्वरूप . प्रतिमा पूर्ण होने के बाद क्या करें? • प्रतिमाओं की मुख्य पृष्ठभूमि? • प्रतिमाएँ कौन धारण करता है? • प्रतिमाओं का काल विचार • प्रतिमा का जघन्यकाल एक दिन क्यों? • प्रतिमाधारी के कृत्य • प्रतिमा एक विमर्श • प्रतिमाग्राही की योग्यता • उपासक प्रतिमा धारण करवाने का अधिकारी • प्रतिमाग्रहण के लिए शुभ मुहूर्त विचार • उपासक प्रतिमा में प्रयुक्त सामग्री • उपासक प्रतिमाओं की ऐतिहासिक विकास यात्रा। • उपासक प्रतिमा धारण की मूल विधि • ग्यारह प्रतिमाओं के प्रयोजन • तुलनात्मक विवेचन • उपसंहार • सन्दर्भ सूची। प्रयुक्त ग्रन्थ सूची 457-470
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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