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________________ उपासकप्रतिमाराधना विधि का शास्त्रीय विश्लेषण...443 इस विवेचन से इतना स्वतः स्पष्ट हो जाता है कि प्रतिमाधारण के पूर्व व्यक्ति में कुछ योग्यताएँ होना अत्यन्त आवश्यक है। दूसरे, सम्यक्त्वव्रतग्राही के लिए जो योग्यताएँ अपेक्षित मानी गईं हैं, वे प्रतिमाधारी साधक के लिए भी आवश्यक समझना चाहिए। उपासकप्रतिमा धारण करवाने का अधिकारी कौन ? जिस प्रकार उपासक - प्रतिमा धारण करने वाले व्यक्ति में कुछ योग्यताएँ होना जरूरी है, उसी प्रकार प्रतिमा स्वीकार करवाने वाले गुरू भी विशिष्ट गुणों से युक्त होने चाहिए, क्योंकि व्रतग्राही और व्रतदाता - दोनों ही योग्य हों, तो गृहीत साधना शीघ्र फलदायी होती है। प्रतिमा धारण करवाने वाले गुरू किन गुणों से युक्त होने चाहिए ? इस विषय में कोई प्रामाणिक या आगमिक जानकारी तो प्राप्त नहीं हो पाई है, किन्तु वैधानिक ग्रन्थों के आधार पर इतना कह सकते हैं कि सम्यक्त्वव्रत, बारहव्रत, सामायिकव्रत दिलाने वाले गुरू जिन गुणों से सम्पन्न हों। प्रतिमाधारण कराने वाले गुरू में भी तथाविध गुण होने चाहिए । प्रतिमाग्रहण के लिए मुहूर्त आदि विचार उपासक प्रतिमाएँ किस दिन तथा किस समय ग्रहण की जानी चाहिए? इस सन्दर्भ में विशेष सूचना या उल्लेख तो प्राप्त नहीं हुए हैं, किन्तु वर्धमानसूरिकृत आचारदिनकर (15 वीं शती) में इतना निर्देश अवश्य है कि इन प्रतिमाओं को शुभमुहूर्त्त आदि में स्वीकार करना चाहिए, पर वे शुभमुहूर्त्तादि कौनसे हैं ? तत्सम्बन्धी कोई विवरण नहीं दिया गया है। इसके अतिरिक्त इसमें यह सूचन है कि यदि सभी प्रतिमाओं को अनुक्रम से धारण करते हैं, तो प्रत्येक के लिए शुभ मुहूर्त आदि देखना आवश्यक नहीं है। पहली प्रतिमा जिस शुभ मुहूर्त आदि में स्वीकार की जाती है उसमें अन्य प्रतिमाओं का भी अन्तर्भाव हो जाता है। यदि सभी प्रतिमाओं को अलग-अलग समय में धारण करें, उस स्थिति में सभी प्रतिमाओं के लिए पृथक्-पृथक् शुभमुहूर्त्तादि देखना चाहिए। 70 उपासक प्रतिमा में प्रयुक्त सामग्री सामान्यतया सम्यक्त्वव्रत, बारहव्रत आदि के ग्रहणकाल में जो सामग्री आवश्यक मानी गई है वही उपासकप्रतिमा के सम्बन्ध में भी उपयोगी जाननी चाहिए। यह सामग्री सूची अध्याय - द्वितीय में उल्लिखित है ।
SR No.006240
Book TitleJain Gruhastha Ke Vrataropan Sambandhi Vidhi Vidhano ka Prasangik Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, C000, & C999
File Size37 MB
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